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चीन को पछाड़ने के लिए अमेरिकी सीनेट ने पास किया बिल, बाइडन बोले पीछे नहीं रहना चाहते हम

वाशिंगटन। अमेरिकी सीनेट ने टेक्‍नॉलिजी रिसर्च एंड प्रोडेक्‍शन को बढ़ावा देने के मकसद से एक बिल पास किया है। इसको अमेरिकी इतिहास में दर्ज कुछ बड़े प्रस्‍तावों में से एक बताया जा रहा है। इस बिल को पास करने के लिए डेमोक्रेट और रिपब्लिकन सांसद एक हुए हैं। आपको बता दें कि कई मुद्दों पर इन दोनों का रुख एक दूसरे के बिल्‍कुल विप‍रीत होता है। कहा जा रहा हे कि इस नए प्रस्‍ताव के पास होने के बाद अंतरराष्‍ट्रीय स्‍तर पर प्रतियोगिता बढ़ेगी खासतौर पर चीन के साथ। हालांकि इस बिल को अभी हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में पारित होना जरूरी है। इसके बाद ही ये कानून की शक्‍ल ले सकेगा।

बिल का समर्थन करने वाले सदस्‍यों का कहना है कि ये अमेरिकी इतिहास और साइंटिफिक रिसर्च के क्षेत्र में अब तक के कुछ बड़े बिलों में से एक है। सीनेट मैजोरिटी लीडर चक स्‍कमर ने इस बिल के पारित होने पर कहा कि उन्‍हें पूरा विश्‍वास है कि इस बिल के पारित होने के बाद अमेरिका न सिर्फ रिसर्च में काफी आगे जाएगा बल्कि उत्‍पादन के मामले में भी काफी आगे जाएगा। इसके जरिए भविष्‍य में विश्‍व में औद्योगिक क्षेत्र में प्रतियोगिता काफी बढ़ जाएगा।

इस बिल के जरिए 250 बिलियन डॉलर टेक्‍नॉलिजी रिसर्च, सेमीकंडक्‍टर डेवलेपमेंट और इसके निर्माण और सब्सिडी, रोबोट मेकर्स, चिप मेकर्स और पर खर्च किया जाएगा। कंप्‍यूटर चिप की कमी के चलते ऑटोमोबाइल प्रोडेक्‍शन काफी प्रभावित हुआ है। इस बिल को चीन को देखते हुए तैयार किया गया है। अमेरिका चीन के बने ड्रोन की खरीद को भी प्रतिबंधित करेगी। गौरतलब है कि अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाया था कि वो अमेरिका में किए गए साइबर अटैक में शामिल रहा है। इस बिल के पारित होने के बाद चीन पर प्रतिबंध लगाने में भी मदद मिलेगी। इस बिल के समर्थन में जहां 68 वोट गिरे वहीं इसके विरोध में 32 वोट गिरे थे।

जानकारों का कहना है कि इस बिल के पास होने ने ये दिखा दिया है कि कैसे चीन के आर्थिक और सैन्‍य मकसद को रोकने के लिए दोनों पार्टियां एकजुट हो गई हैं। राष्‍ट्रपति बाइडन की अंतिम मुहर लगने से पहले अभी इसको एक और कठिन परीक्षा से गुजरना बाकी है। कहा ये भी जा रहा है कि सीनेट के इस बिल के पास करने से चीन और अमेरिका के बीच कुछ हद तक रिश्‍तों में कड़वाहट जरूर बढ़ जाएगी। गौरतलब है कि मई में अमेरिका और चीन ने व्‍यापार के मुद्दे पर वर्चुअल तौर पर बातचीत की थी। बाइडन के कार्यकाल में दोनों देशों के बीच ये पहली बातचीत थी।

इसके बाद जून की शुरुआत में चीन के वाणिज्‍य मंत्रालय ने कहा गया था कि अमेरिका और चीन विवादित द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने और संचार और संबंधों को सामान्‍य बनाने पर राजी हो गए हैं। अमेरिकी राष्‍ट्रपति जो बाइडन ने एक बयान में कहा है कि सरकार पहले भी अमेरिकी वर्कर्स और इनोवेशन के लिए निवेश करती रही है। उन्‍होंने कहा है कि सभी देश रिसर्च और प्रोडेक्‍शन को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं, लिहाजा अमेरिका भी इसमें पीछे नहीं रहना चाहता है। उन्‍होंने कहा है कि हम 21वीं सदी को जीतने के प्रयास में लगे हैं।

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