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रूस ने यूक्रेन पर इंटरकॉन्टिनेंटल मिसाइल दागी:कल यूक्रेन दाग चुका है अमेरिका और ब्रिटेन की लंबी दूरी की मिसाइल

रूस ने पहली बार यूक्रेन पर इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) से हमला किया है। यूक्रेन की एयर फोर्स ने गुरुवार को कहा कि रूस ने पहली बार हजारों किलोमीटर की दूरी तय करने वाले हथियार से उन पर हमला किया है।

ICBM 5,500 किलोमीटर से ज्यादा की रेंज तक हमला कर सकती है। इसे खासकर न्यूक्लियर हथियार लॉन्च करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

यह हमला यूक्रेन के रूस पर ब्रिटिश और अमेरिकी मिसाइलों से हमले के बाद किया गया है। बुधवार को यूक्रेन ने रूस पर ब्रिटिश मिसाइल स्टॉर्म शैडो क्रूज से हमला किया था। एक रूसी सैनिक ने ऑनलाइन दावा किया कि कम से कम 12 मिसाइलें कुर्स्क इलाके में दागी गईं।

इससे पहले मंगलवार को यूक्रेन ने अमेरिकी लंबी दूरी की ATACMS बैलिस्टिक मिसाइल से रूस पर हमला किया गया था। इसके बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि यूक्रेन ब्रिटिश मिसाइलों का भी इस्तेमाल कर सकता है।
रूस ने पिछले महीने कहा था कि अगर NATO देशों के हथियारों का इस्तेमाल उसकी जमीन पर होता है तो इसे तीसरे विश्व युद्ध की शुरुआत समझा जाएगा।
यूक्रेन ने रूस पर पहली बार अमेरिकी मिसाइल दागीं

रूस ने 19 नवंबर को दावा किया था कि यूक्रेन ने पहली बार अमेरिका से मिली लंबी दूरी की मिसाइलें उनके इलाके में दागीं। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन ने मंगलवार सुबह ब्रियांस्क इलाके में लंबी दूरी वाली 6 आर्मी टेक्टिकल मिसाइल सिस्टम (ATACMS) मिसाइलें दागीं।

रूस ने कहा कि उन्होंने 5 मिसाइलों को मार गिराया। रिपोर्ट के मुताबिक, यूक्रेन और अमेरिका के अधिकारियों ने भी रूस पर ATACMS का इस्तेमाल किए जाने की पुष्टि की है। इसके बाद बुधवार को कीव में अमेरिकी एम्बेसी को बंद कर दिया गया था। बाद में अमेरिकी ने इसे गुरुवार को खोलने की बात कही।

क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइल में क्या अंतर?
अमेरिका ने यूक्रेन को बैलिस्टिक मिसाइल और ब्रिटिश ने क्रूज मिसाइल दी है। दोनों मिसाइलों का अलग-अलग काम होता है।

क्रूज मिसाइल

क्रूज मिसाइल एक तरह की सेल्फ गाइडेड मिसाइल है। यह जमीन से काफी करीब उड़ती हैं। यह अपना रास्ता खुद बना लेती है, इसलिए इसे क्रूज मिसाइल कहते हैं।
यह जेट इंजन टेक्नोलॉजी की मदद से पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरती हैं। इनकी स्पीड बहुत तेज होती है।
कम ऊंचाई पर उड़ने की वजह से ही यह रडार की पकड़ में नहीं आती। इन्हें जमीन, हवा, पनडुब्बी और युद्धपोत कहीं से भी दागा जा सकता है।
क्रूज मिसाइलों को क्षमता के हिसाब से सबसोनिक, सुपरसोनिक और हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों में बांट सकते हैं। उदाहरण के लिए भारत की ब्रह्मोस सुपरसॉनिक मिसाइल है और ब्रह्मोस 2 हाइपरसॉनिक मिसाइल है।
यह आकार में बैलिस्टिक मिसाइल से छोटी होती हैं और इस पर हल्के बम ले जाए जाते हैं। क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल पारंपरिक और परमाणु बम दोनों के लिए होता है।
बैलिस्टिक मिसाइल

ये मिसाइल छोड़े जाने के बाद तेजी से ऊपर जाती है और फिर गुरुत्वाकर्षण की वजह से तेजी से नीचे आते हुए अपने टारगेट को हिट करती है।
इसे बड़े समुद्री जहाज या फिर किसी खास जगह से छोड़ा जाता है। भारत के पास पृथ्वी, अग्नि और धनुष बैलिस्टिक मिसाइलें हैं।
ये साइज में क्रूज मिसाइलों से बड़ी होती हैं। साथ ही ये क्रूज की तुलना में भारी वजन वाले बम ले जा सकती हैं।
यह दागे जाने के बाद हवा में एक अर्धचंद्राकर रास्ते पर चलती है। जैसे ही रॉकेट से उनका संपर्क टूटता है, उनमें लगा बम गुरुत्वाकर्षण की वजह से जमीन पर गिरता है।
बैलिस्टिक मिसाइलों का इस्तेमाल आमतौर पर परमाणु बमों को ले जाने के लिए होता है, हालांकि इससे पारंपरिक हथियार भी ले जाए जा सकते हैं।
यूक्रेन को लैंड माइन्स देगा अमेरिका, 3 दिन में 2 खतरनाक हथियारों को मंजूरी दी

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन यूक्रेन को एंटी पर्सनल लैंड माइन्स देने को राजी हो गए हैं। BBC की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी रक्षा विभाग के एक अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जल्द ही यूक्रेन को ऐसे माइन्स सौंपे जाएंगे।

अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने यूक्रेन को इन माइन्स का इस्तेमाल यूक्रेन की सीमा में ही करने को कहा है। रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सेना यूक्रेन के पूर्वी इलाके में तेजी से बढ़ती जा रही है। इस पर रोक लगाने के लिए अमेरिका ने यूक्रेन को ये हथियार देने का फैसला किया है।

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