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टीएलपी के सामने इमरान सरकार ने टेके घुटने, फ्रांसीसी राजदूत के निष्कासन पर कर रही विचार

इस्लामाबाद। पाकिस्तान में सरकार के प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) से वार्ता के कदम से पुलिसकर्मी नाखुश हैं। वे इसे पुलिस बल के साथ सरकार का विश्वासघात मान रहे हैं। क्योंकि यह उस प्रतिबंधित और हिंसक संगठन के साथ बातचीत है जिसने कुछ दिन पहले हमला कर पुलिस अफसर को थाने से अगवा किया। बाद में उसे छुड़वाने गए पुलिसकर्मियों की हत्या की, पुलिसकर्मियों को बंधक बना उन पर बर्बर अत्याचार किया और निर्ममता से पिटाई की। उनके वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर जारी किए।

हिंसा में घायल हुए थे सैकड़ों पुलिसकर्मी

लाहौर में टकराव की इस घटना के बाद टीएलपी ने तीन दिन का राष्ट्रव्यापी विरोध प्रदर्शन किया था। विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा में पूरे देश में सैकड़ों पुलिसकर्मी और प्रदर्शनकारी घायल हुए थे। अरब न्यूज के अनुसार टीएलपी की हिंसा में छह पुलिसकर्मी मारे गए जबकि 800 से ज्यादा घायल हुए हैं। प्रदर्शन के दौरान विभिन्न शहरों-कस्बों में तमाम पुलिस वाहन जला दिए गए थे। कई थानों और पुलिस चौकियों पर हमले हुए थे।

समझौते का रास्ता तलाश रही सरकार

अब सरकार टीएलपी से बात कर समझौते का रास्ता तलाश रही है। इसी से पुलिसकर्मियों में गुस्सा है। टीएलपी से हिंसा बंद कर शांति के रास्ते पर चलने की जगह सरकार के मंत्री हिंसा के मामलों में गिरफ्तार टीएलपी कार्यकर्ताओं को बरी किए जाने की मांग पर विचार कर रहे हैं। उनके खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने का आश्वासन दे रहे हैं।

पुलिसकर्मियों में नाराजगी

फ्रांसीसी राजदूत को देश से निकाले जाने की टीएलपी की मुख्य मांग पर सरकार संसद का सत्र बुलाने पर गंभीर है। इस सत्र में राजदूत को वापस भेजे जाने के प्रस्ताव पर मतदान हो सकता है। नाराज पुलिसकर्मियों का कहना है कि उन्हें टीएलपी से वार्ता पर एतराज नहीं है लेकिन पुलिसकर्मियों की हत्या, उन्हें बंधक बनाकर अत्याचार करने और घायल करने वालों को छोड़ा जाना गलत है। इससे पुलिसकर्मियों में नाराजगी है।

राजदूत को सऊदी अरब से बुलाया

पाकिस्तान ने सऊदी अरब में तैनात अपने राजदूत और छह अधिकारियों को भ्रष्टाचार के मामलों में संलिप्तता के आरोपों के चलते वापस बुलाया है। उन पर हज करने और व्यापारिक यात्राओं पर गए पाकिस्तानी नागरिकों से रिश्वत लेने जैसे गंभीर आरोप हैं। विदेश मंत्रालय ने बाकायदा जांच कराकर इन अधिकारियों को वापस बुलाने का फैसला किया है।

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