अमेरिका को नहीं करने देंगे अपनी जमीन का इस्तेमाल, न ही होगी ड्रोन हमले की इजाजत- कुरैशी
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कड़े शब्दों में कहा है कि उनका देश न तो अमेरिकी सेना को मिलिट्री बेस बनाने की इजाजत देगा और न ही पाकिस्तान में कहीं भी ड्रोन अटैक करने की इजाजत देगा। उनका ये बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका की तरफ से ये कहा जा रहा है कि वो भविष्य में अफगानिस्तान को आतंकी संगठनों के खतरे से बचाने के लिए अपनी जगह कहीं बना सकता है या नहीं। हालांकि अमेरिकी अधिकारी ने इसकी जानकारी देते हुए पाकिस्तान का नाम नहीं लिया है न ही उन्होंने मीडिया में आई अटकलों पर कोई जवाब दिया है।
आपको बता दें कि अफगानिस्तान की सीमाएं चार अलग-अलग देशों से मिलती हैं। इनमें पाकिस्तान, ईरान, उजबेकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, तजाकिस्तान शामिल है। इसमें भी अफगानिस्तान की सीमा अधिकतर पाकिस्तान से (करीब 2600 किमी) फिर ईरान से फिर तुर्कमेनिस्तान और तजाकिस्तान से मिलती है। ईरान से अमेरिका का तनाव काफी समय से बरकरार है। यही वजह है कि अमेरिका यहां पर अपना बेस बनाने के बारे में सोच नहीं सकता है।
वहीं पाकिस्तान पहले से ही अमेरिकी सेना को अफगानिस्तान के लिए अपनी जमीन का इस्तेमाल करने की इजाजत देता रहा है। अफगानिस्तान में नाओ की सप्लाई भी पाकिस्तान के ही रास्ते होती रही है। इसलिए भी पाकिस्तान अमेरिका के लिए सही जगह भी है। पाकिस्तान की तरफ से आए बयान से पहले मीडिया में इस तरह की खबरें आई थी जिसमें अमेरिका के हवाले से कहा गया था कि पाकिस्तान ने उन्हें अपने यहां पर मिलिट्री बेस बनाने और अपने एयरस्पेस का इस्तेमाल करने की इजाजत दे दी है। साथ ही ये भी कहा गया था कि पाकिस्तान अमेरिकी सेना को मदद भी प्रदान करेगा।
पाकिस्तान के विदेश मंत्री का बयान आने से पहले मंगलवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस बारे में ट्वीट कर जानकारी दी थी और मीडिया में चल रही अटकलों को विराम देने की कोशिश की थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता की तरफ से पाकिस्तान में अमेरिकी सेना का बेस जैसी खबरों का खंडन करते हुए इनको अर्थहीन और झूठा करार दिया गया था।
आपको बता दें कि अमेरिका ये एलान कर चुका है कि न्यूयॉर्क हमले की बरसी से पहले वो अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस ले लेगा। हालांकि अमेरिकी सीनेटर इसको लेकर चिंतित हैं कि अमेरिका के वहां से आने के बाद अलकायदा और आईएसआईएस जो की अब लगभग खत्म हो चुका है दोबारा उभर सकते हैं। यही वजह है कि अमेरिका चाहता है कि वापसी के बाद भी उसके पास अफगानिस्तान में जरूरत पड़ने पर सतान में और आने का सही और सुरक्षित रास्ता तैयार रहे।
आपको यहां पर ये भी बताना जरूरी होगा कि पिछले एक सप्ताह के दौरान ही अफगानिस्तान के पूर्व और मौजूदा राष्ट्रपतियों ने अपने देश की बदहाली के लिए पाकिस्तान को ही दोषी ठहराया है। राष्ट्रपति अशरफ गनी ने अपने एक इंटरव्यू में जहां ये कहा था कि तालिबान का पाकिस्तान की सरकार और सेना के साथ मजबूत गठजोड़ है और सेना ही इस आतंकी संगठन के लिए आंतकी तैयार करने में मदद करती है। वहीं पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई ने कहा था कि पाकिस्तान चाहता है कि अफगानिस्तान भारत से सभी संबंध तोड़ दे। उनका ये भी आरोप था कि पाकिस्तान तालिबान के जरिए उनके देश में रणनीतिक और राजनीतिक बढ़त बनाना चाहता है।