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मोदी 32 दिन में दूसरी बार जेलेंस्की से मिले:कहा- जंग रोकने पर दूसरे नेताओं से बात करता रहता हूं, जल्द सीजफायर का रास्ता निकले

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका दौरे के तीसरे दिन यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात की। 32 दिन के भीतर ये दोनों नेताओं की दूसरी मुलाकात रही। मोदी 23 अगस्त को यूक्रेन दौरे पर जेलेंस्की से मिले थे।

मोदी ने न्यूयॉर्क में जेलेंस्की से मुलाकात की तस्वीर X पर पोस्ट की। उन्होंने लिखा- हम द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए यूक्रेन दौरे पर हुए फैसलों को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

वहीं, विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि मोदी ने जेलेंस्की से कहा है कि वे कई देशों के नेताओं से रूस-यूक्रेन जंग को लेकर बात करते रहते हैं। सबका मानना है कि जल्द सीजफायर का रास्ता खोजना चाहिए।

जेलेंस्की ने जंग रोकने के लिए किए जा रहे प्रधानमंत्री मोदी की प्रयासों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। जेलेंस्की ने मोदी के यूक्रेन यात्रा की भी सराहना की।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार रात को संयुक्त राष्ट्र संघ की जनरल असेंबली (UNGA) के समिट ऑफ द फ्यूचर को संबोधित किया। लगभग 4 मिनट के भाषण में PM मोदी ने दुनिया के सुरक्षित भविष्य को लेकर भारत का पक्ष रखा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार देर रात UN में भाषण दिया, उन्होंने अपने स्पीच की शुरुआत नमस्ते कहकर की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार देर रात UN में भाषण दिया, उन्होंने अपने स्पीच की शुरुआत नमस्ते कहकर की।

उन्होंने UN से विश्व की बड़ी संस्थाओं में बदलाव की मांग की। मोदी ने कहा, “मानवता की सफलता मिलकर काम करने में है। जंग के मैदान में नहीं। दुनिया की शांति के लिए वैश्विक संस्थाओं में बदलाव जरूरी हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा-मोदी ने भाषण की शुरुआत नमस्ते कहकर की। उन्होंने कहा, “विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत और उसके 140 करोड़ लोगों की तरफ से आपको नमस्कार। जून में मानव इतिहास के सबसे बड़े चुनाव में लोगों ने मुझे तीसरी बार सेवा का मौका दिया। मैं उनकी बात रखने यहां आया हूं।”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन का नाम लिए बिना मैरिटाइम रूट्स पर बढ़ते खतरों का भी जिक्र किया। दरअसल, चीन ने हाल ही के सालों में हिंद महासागर और प्रशांत महासागर इलाके में अपने मौजूदगी को बढ़ाया है। भारत इस तरह के विस्तारवाद की निंदा करता है।

सवाल 1: समिट ऑफ फ्यूचर क्यों हो रहा है? जवाब: इस समिट का मकसद धरती के भविष्य को आने वाले खतरों से बचाना है। समिट में ग्लोबल पीस, सतत विकास, क्लाइमेट चेंज, मानवाधिकार और जेंडर जैसे मुद्दों पर चर्चा हो रही है। 2021 में UN चीफ एंटोनियो गुटेरेस ने एक मीटिंग बुलाने की मांग की थी, जिसमें इन चुनौतियों पर चर्चा हो सके। ये समिट 3 साल की देरी से हो रही है।

दरअसल 2015 में UN ने दुनिया के खतरों को पहचानते हुए वर्ल्ड लीडर्स के सामने 17 लक्ष्य रखे थे। लगभग 10 साल पूरे होने को हैं इनमें से सिर्फ 17% गोल ही अचीव हो पाए हैं। 1970 से 2021 के बीच क्लाइमेट चेंज की वजह से 11,778 आपदाओं में 20 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।

UN हर हाल में इन्हें रोकना चाहता है। एंटोनियो गुटेरेस का मानना है कि अगर दुनिया ने अभी कोई एक्शन नहीं लिया तो धरती को बचाने में देर हो जाएगी। इसलिए UN 22 और 23 सितंबर को समिट ऑफ फ्यूचर हुआ।

सवाल 2: भारत का दुनिया पर मंडरा रहे खतरों पर क्या स्टैंड है? जवाब: भारत ग्लोबल साउथ देशों का नेतृत्व करता है। क्लाइमेट चेंज हो या ग्लोबल पीस या मानवाधिकार ग्लोबल साउथ देश इन मुद्दों से जूझ रहे हैं। ऐसे में भारत ये समिट कराने के पक्ष में रहा है।

समिट के मुद्दों पर भारत का स्टैंड…

1) ग्लोबल पीस- PM मोदी का कहना है, “ये समय जंग का नहीं है।” भारत UNSC समेत UN के दूसरे संस्थानों में बदलाव की मांग करता है। भारत का मानना है, जब तक वैश्विक संस्थाओं में नए देशों को नहीं जोड़ा जाएगा तब तक दुनिया में कोई अहम बदलाव लाना मुमकिन नहीं है।

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