इमैन्युल मैक्रॉन के लिए मुश्किल हो सकता है 2022 का राष्ट्रपति चुनाव
पेरिस । फ्रांस में रविवार को हुए क्षेत्रीय चुनाव में कट्टर दक्षिणपंथी पार्टी को जबरदस्त हार का सामना करना पड़ा है। इस चुनाव में मरीन ला पेन की पार्टी को कोई भी सीट नहीं मिल सकी। बता दें कि फ्रांस में अगले वर्ष राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। ऐसे में ला पेन की पार्टी के भविष्य को लेकर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं। रविवार को जो चुनाव हुए उसके एग्जिट पोल के नतीजे में रीअसेंबलमेंट नेशनल पार्टी को देश के दक्षिणी प्रोवेन्स आल्प्स कोट डे अजुर से काफी उम्मीद थी। वहीं ला पेन को लग रहा था कि इस बार के चुनाव में उनका आधार और मजबूत होगा जिके बाद वो अगले वर्ष राष्ट्रपति चुनाव में मजबूती के साथ उतर सकेंगे। लेकिन अब इस पर पानी फिरता दिखाई दे रहा है।
हालांकि इस चुनाव के नतीजे राष्ट्रपति इमैन्युल मैक्रॉन के लिए भी बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। उनकी भी पार्टी को इस चुनाव में कोइ सीट मिलती दिखाई नहीं दे रही है। इसलिए माना जा रहा है कि ये संकेत भविष्य में राजनीतिक फेरबदल की राह बना सकते हैं। इस चुनाव में ला पेन ने कंजर्वेटिव पार्टी पर अव्यवस्थित मतदान का आरोप लगाया था। एग्जिट पोल के मुताबिक इसमें कंजेर्वेटिक पार्टी को दस नंबरों से जीत मिलती दिखाई दे रही है। अपनी हार को स्वीकार करते हुए ला पेन ने कहा कि उनकी पार्टी के कोई भी सीट न जीतने की वजह से सत्ताधारी पार्टी का बनाया हुआ अप्राकृतिक गठबंधन है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनकी पार्टी हार सके इसलिए लिए प्रशासनिक स्तर पर भी पूरा जोर लगाया गया। उनका ये भी कहना है कि इस चुनाव में करीब दो तिहाई मतदाता वोटिंग से दूर रहे।
आपको बता दें कि ला पेन का राजनीतिक आधार देश का पारंपरिक दक्षिणपंथी मतदाता रहा है। हालांकि चुनाव में मिलती दिखाई दे रही हार के बावजूद राजनीतिक विश्लेषक इस बात से इनकार कर रहे हैं कि उन्हें आगामी राष्ट्रपति चुनाव में जनता पूरी तरह से खारिज कर देगी। इस चुनाव में मैक्रॉन की पार्टी भी सफल होने में पूरी तरह से नाकाम रही है। जानकार मानते हैं कि इससे मैक्रॉन की आगे की राह काफी मुश्किल हो गई है। जानकारों का ये भी कहना है कि अगली बार के राष्ट्रपति चुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला हो सकता है। जानकारों की राय में वैलरी पेक्रेसे जो ग्रेटर पेरिस क्षेत्र से जीती हैं आगामी राष्ट्रपति चुनाव की मजबूत उम्मीदवार हो सकती हैं। उन्होंने अपने एक भाषण में देश के दक्षिणपंथियों की जमकर तारीफ की है। इस क्षेत्रीय चुनाव में सिर्फ 35 फीसद लोगों ने ही अपने वोट का इस्तेमाल किया था।