यदि सच हो गई उत्तर कोरिया के तानाशाह किम की सोच तो उनकी हो जाएगी पौ-बारह
पिछले कुछ से उत्तर और दक्षिण कोरिया के बीच जारी शांति के प्रयास लगातार आगे बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। पिछले चार माह के दौरान इन प्रयासों को नए पंख लग गए हैं। ऐसा इसलिए भी है क्योंकि बीते चार माह के दौरान उत्तर कोरिया ने कोई भी परमाणु परिक्षण नहीं किया है। इसके अलावा विंटर ओलंपिक और फिर पेराओलंपिक गेम्स में उत्तर कोरियाई खिलाडि़यों की शिरकत ने भी इन प्रयासों को आगे बढ़ाने का काम किया है। इसके लिए चाहे न चाहे उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन की तारीफ करनी ही पड़ेगी। विंटर ओलंपिक गेम्स के दौरान किम की बहन किम यो को जिस तरह से दक्षिण कोरिया में तवज्जो मिली और जिस तरह से तीन दशक में पहली बार दक्षिण कोरिया का दल बातचीत के लिए प्योंगयोंग गया, वह बताता है कि दोनों देश सही दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। हालांकि पेराओलंपिक में दोनों कोरियाई देश एक साथ मार्च नहीं करेंगे, जैसा विंटर ओलंपिक में दिखाई दिया था। बहरहाल, किम यह पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह दोनों देशों को उत्तर कोरिया के नेतृत्व में एक ही झंडे के नीचे फिर से एकजुट के पक्षधर हैं। भले ही यह दूर की कौड़ी हो, लेकिन फिलहाल उनकी सोच सही दिशा में जाती दिखाई दे रही है। हालांकि किम की यह एक मजबूरी और चाल भी हो सकती है। बहरहाल जिस दिशा में किम सोच रहे हैं यदि वह सच होता है तो यकीनन उनकी ताकत कई गुणा बढ़ जाएगी।
जहां तक दोनों देशों के करीब होने की बात है तो दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जे भी मानते हैं कि दोनों देशों के बीच खुली शांति की राह काफी लंबी है और इसमें कठिनाईयां भी हैं। उनके मुताबिक उत्तर कोरिया को अपने परमाणु हथियारों के विकास को रोकने के लिए काफी मुश्किलें हैं। उनका यहां तक कहना है कि सिर्फ दोनों कोरियाई देशों के बीच बातचीत से कुछ खास हासिल नहीं होने वाला है इसमें अमेरिका के साथ भी वार्ता जरूरी है। उनका यह बयान इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकि दक्षिण कोरिया के विशेष दूत से हुई वार्ता के दौरान किम ने अमेरिका के साथ बातचीत को अपनी रजामंदी दे दी है। किम ने इस दौरान अपने मिलिट्री प्रोग्राम को भी रोके रखने पर रजामंदी जाहिर की है। इसके साथ ही उत्तर कोरिया की तरफ से अपनी सुरक्षा और अपनी सरकार के बारे में कोई समझौता न करने की बात भी साफ कर दी है। लेकिन दक्षिण कोरियाई समाचार एजेंसी ने ये भी कहा है कि किम ने साफ कर दिया है कि उसके परमाणु कार्यक्रम में कोई बदलाव नहीं होगा क्योंकि देश को परमाणु संपन्न बनाने का सपना उनके पिता का है जिसको वह पूरा करने में लगे हैं। लिहाजा इस विषय पर कोई बातचीत नहीं होगी।