शैंपेन कैसे बनी है रूस और फ्रांस के बीच विवाद की वजह
मास्को। शैंपेन को लेकर फ्रांस और रूस में बीते कुछ दिनों से विवाद गरमा रहा है। इसकी वजह है रूस का नया कानून। इस नए कानून के तहत रूस चाहता है कि विदेशी शैंपेन को स्पार्कलिंग वाइन के नाम से बेचा जाना चाहिए। रूस के इस नए कानून के तहत अब केवल वहां पर बनने वाली शंपान्सकोव को ही शैंपेन कहलाने का अधिकार होगा। इस नए कानून पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पिछले दिनों ही दस्तखत किए थे।
इस नए कानून ने फ्रांस के शैंपेन बनाने वालों को नाराज कर दिया है। यही वजह है कि वो रूस का कड़ा विरोध कर रहे हैं। अब इस विवाद में फ्रांस की सरकार और यूरोपीय आयोग के सीधेतौर पर उतर जाने से भी मामला ज्यादा खराब हो गया है। इस मुद्दे पर रूस से नाराज फ्रांस ने वहां पर शैंपेन का निर्यात रोकने की धमकी तक दे डाली है।
इस नए कानून के प्रति फ्रांस में शैंपेन बिजनेस से जुड़े लोगों में जबरदस्त गुस्सा देखा जा रहा है। रूस के इस कानून के खिलाफ आवाज उठाने वाले फ्रांस के एक औद्योगिक संगठन ने रूस को शैंपेन की सप्लाई रोक देने तक की धमकी दे डाली है। आपको बता दें कि शैंपेन नाम दरअसल, फ्रांस के एक क्षेत्र शंपान्या के नाम पर रखा गया था, जहां से इसकी शुरुआत हुई थी। इस नाम को 100 से अधिक देशों में कानूनी रूप से सुरक्षा भी मिली हुई है। फ्रांस के औद्योगिक संगठन ने एक बयान जारी कर कहा है कि वो रूस के नए कानून की कड़े शब्दों में निंदा करता है। उनका कहना है कि ये नया कानून रूसी ग्राहकों से वाइन के गुणों और उसकी उत्पत्ति के बारे में जानकारी को छिपाने का काम कर रहा है।
फ्रांस के व्यापार मंत्री फ्रांक रिएस्टेर का कहना है कि वो इस नए कानून को लेकर वाइन उद्योग और फ्रांस के यूरोपीय साझीदारों से संपर्क में है। अपने एक ट्वीट में उन्होंने लिखा है कि वो अपने शैंपेन उत्पादकों की पूरी मदद करेंगे। हालांकि कुछ उत्पादकों ने रूस के इस नए कानून को माना भी है। फ्रांस की वॉव क्लिक्वो और डोम पेरिंयोन कंपनी ने कहा है कि वो नए कानून के तहत अपनी शैंपेन की बोतलों पर अब स्पार्कलिंग वाइन लिखेंगे। हालांकि इस घोषणा के बाद कंपनी के शेयरो में गिरावट देखी गई है। वहीं स्पार्कलिंग वाइन बनाने वाली रूसी कंपनी अबरो-दरसो के शेयरों में तेजी आई है।
कंपनी का कहना है कि वो ऐसी कोई स्पार्कलिंग वाइन नहीं बनाते हैं जिसको शैंपेन कहा जाए। कंपनी ने इस समस्या का हल जल्द निकलने की भी उम्मीद जताई है। कंपनी के प्रमुख ने कहा है कि रूसी बाजार में स्थानीय वाइन की सुरक्षा बेहद मायने रखती है, लेकिन इसके लिए कानून तार्किक होने चाहिए। उन्होंने ये भी कहा है कि असली शैंपेन केवल फ्रांस के शंपान्या क्षेत्र में ही बनती है।
रूस और फ्रांस के बीच उठे इस विवाद में अब यूरोपीय आयोग भी उतर आया है। उसने भी इस पर अपना कड़ा रुख अपनाया है। आयोग का कहना है कि रूस के नए कानून से वाइन निर्यात पर बड़ा असर पड़ेगा। आयोग की तरफ से साफ कर दिया गया है कि अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे। हालांकि इस मुद्दे पर रूस के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करने की बात को आयोग ने फिलहाल टाल दिया है।