वैक्सीन डिप्लोमेसी को लेकर चीन डब्ल्यूटीओ में भारत और दक्षिण अफ्रीका का करेगा समर्थन
बीजिंग। दुनिया में चल रही वैक्सीन डिप्लोमेसी में दखल देते हुए चीन ने कहा है कि वह व्यापार संबंधी बौद्धिक संपदा कानून में ढील देने के भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का समर्थन करेगा। दोनों देशों ने विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में प्रस्ताव देकर इस कानून में ढील देने की मांग की है जिससे विदेशी वैक्सीन के फॉर्मूले लेकर उनका व्यापक तौर पर उत्पादन किया जा सके।
डब्ल्यूटीओ ने भारत और दक्षिण अफ्रीका की मांग का किया समर्थन
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी दोनों देशों की मांग का समर्थन किया है। उल्लेखनीय है कि भारत और दक्षिण अफ्रीका दुनिया में वैक्सीन के बड़े उत्पादक देश हैं।
कोरोना संक्रमण के मद्देनजर वैक्सीन के बड़े पैमाने पर उत्पादन की जरूरत
कोरोना संक्रमण की जो स्थिति है उसके मद्देनजर गरीब और मध्यम वर्ग के देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए उसके बड़े पैमाने पर उत्पादन की जरूरत है। जब तक इस कार्य में भारत और दक्षिण अफ्रीका की मदद नहीं ली जाएगी तब तक इन देशों को सस्ती दर पर वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराई जा सकती।
दुनिया से कोरोना का खात्मा करने के लिए सभी देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराना जरूरी
दुनिया से कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए सभी देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराना आवश्यक है। इस वास्तविकता को समझते हुए हाल ही में हुई विश्व व्यापार संगठन के सदस्य देशों के राजदूतों की बैठक में बौद्धिक संपदा कानून में ढील देने पर फिर से विचार किया गया। इस सिलसिले में भारत और दक्षिण अफ्रीका के अक्टूबर 2020 में दिए गए प्रस्ताव पर अमेरिका और यूरोपीय यूनियन का समर्थन जुटाया जा रहा है।
चीन ने कहा- डब्ल्यूटीओ में भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का करेगा समर्थन
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने कहा है कि चीन विकासशील देशों की आवश्यकताओं को अच्छी तरह से समझता है। इसलिए वह व्यापार संगठन में भारत और दक्षिण अफ्रीका के प्रस्ताव का समर्थन करेगा। कोरोना वायरस के खात्मे के लिए यह आवश्यक है।