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OBOR पर ब्रिटेन के विरोध के बीच चीन ने किया PM थेरेसा मे का स्वागत

बीजिंग। ब्र‍िटेन द्वारा राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी योजना वन बेल्ट-वन रोड (OBOR ) पर सवाल उठाए जाने के बावजूद चीन ने पीएम थेरेसा मे का गर्मजोशी से स्वागत किया.

खराब नेतृत्व का आरोप के बीच पीएम थेरेसा मे तीन दिन के दौरे पर चीन पहुंची हैं. यहां उनका काफी अच्छे से स्वागत किया जा रहा है. खासकर चीनी नागरिक बीजिंग के ठंड के मौसम से उनकी सेहत खराब होने की आशंका से चिंतित हैं. उन्हें वहां आंट मे कहकर बुलाया जा रहा है.

हालांकि चीन की यह गर्मजोशी शक के दायरे में है, क्योंकि ओबीओआर के मामले में अब भारत को इस मुद्दे पर ब्रिटेन का भी साथ मिला है. ब्रिटेन ने चीन के इस महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट पर चिंता व्यक्त की है. ब्रिटेन की ओर से कहा गया है कि उन्हें चीन की इस प्रोजेक्ट के पीछे की लॉन्ग टर्म और शॉर्ट टर्म की सोच पर शक है. इसके बावजूद राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा है कि जो बीत गया वह बीत गया.

रायटर्स की खबर के मुताबिक, यही नहीं चीन ने इस दौरे के दौरान भरोसा दिलाया है कि Brexit के बाद भी उसे ब्र‍िटेन को लेकर उसके उत्साह में कोई कमी नहीं आएगी.साथ ही ब्र‍िटेन में चीनी मार्केट शुरू करने का वादा भी किया है. वहीं रोजगार को लेकर ब्रिटेन और चीन के बीच बड़ा करार हुआ है. प्रधानमंत्री थेरेसा मे की चीन यात्रा के दौरान ब्रिटेन और चीन के बीच 2,500 से अधिक नौकरियों का निर्माण करने के लिए 9 बिलियन पाउंड (12.83 अरब डॉलर) का सौदे हुआ है. ब्रिटिश सरकार ने इसकी जानकारी दी है.

चीन के मीडिया ने थेरेसा को आयरन लेडी तक कहा है. साथ ही ग्लोबल टाइम्स के अनुसार भले ही मे ने हांगकांग के लोकतंत्र, साथ ही शी के ओबीओआर प्रोजेक्ट पर सवाल उठाया हो, लेकिन उनकी व्यावहारिकता तारीफ के काबिल है कि मे इन मुद्दों को पब्ल‍िक के सामने नहीं उठाया.

वहीं ब्रिटेन के अखबार द गार्जियन में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने साफ तौर पर चीन के इस प्रोजेक्ट के समर्थन से अपने आप को दूर ही रखा. अपने पहले चीन दौरे पर उन्होंने चीन को अपना नेचुरल पार्टनर बताया, लेकिन इस मुद्दे पर चुप्पी ही साधी. गौरतलब है कि चीन का ये प्रोजेक्ट करीब 60 देशों को जोड़ता है. इस प्रोजेक्ट के जरिए चीन से यूरोप तक आना-जाना, व्यापार करना काफी आसान हो जाएगा.

खबर की मानें, तो ब्रिटेन सरकार इस प्रोजेक्ट से जुड़े किसी भी समझौते पर अपनी मंजूरी नहीं देगी. थेरेसा मे के मुताबिक, चीन और ब्रिटेन दोनों साथ मिलकर एक साथ दुनिया के लिए काम कर सकते हैं. जहां तक इस प्रोजेक्ट की बात है हमें अभी यह देखना होगा कि ये किस तरह अंतरराष्ट्रीय मापकों पर खरा उतरता है और इसका हमारे क्षेत्र में किस तरह असर पड़ता है. इस प्रोजेक्ट को सही तरीके लागू किया जाना चाहिए.

आपको बता दें कि भारत, ब्रिटेन के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों भी इस प्रोजेक्ट पर विरोध जता चुके हैं.

भारत की आपत्ति क्या है?

बता दें कि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) पर भारत की गहरी आपत्ति है. दरअसल सीपीईसी गिलगिट और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) के बालटिस्तान से होकर गुजरता है. भारत PoK सहित समूचे जम्मू-कश्मीर राज्य को अपना अखंड हिस्सा मानता है.

सीपीईसी चीन की विशिष्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) की महत्वपूर्ण परियोजना है और राजधानी बीजिंग में दो दिनों तक चलने वाली बैठक में इस परियोजना के प्रमुखता से उठने की संभावना है. बीते वर्ष मई में चीन में इसका उद्घाटन समारोह भी हुआ था, चीन की कई कोशिशों के बावजूद भारत इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुआ था.

क्या है ये प्रोजेक्ट?

चीन ने आर्थिक मंदी से उबरने, बेरोजगारी से निपटने और अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना को पेश किया है. चीन ने एशिया, यूरोप और अफ्रीका को सड़क मार्ग, रेलमार्ग, गैस पाइप लाइन और बंदरगाह से जोड़ने के लिए ‘वन बेल्ट, वन रोड’ के तहत सिल्क रोड इकोनॉमिक बेल्ट और मैरीटाइम सिल्क रोड परियोजना शुरू की है.

इसके तहत छह गलियारे बनाए जाने की योजना है. इसमें से कई गलियारों पर काम भी शुरू हो चुका है. इसमें पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) से गुजरने वाला चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा भी शामिल है, जिसका भारत कड़ा विरोध कर रहा है.

भारत का कहना है कि पीओके में उसकी इजाजत के बिना किसी तरह का निर्माण संप्रभुता का उल्लंघन है. कुछ दिन पहले ही चीन ने भारत को शामिल करने के लिए चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का नाम बदलने पर भी राजी हो गया था, लेकिन बाद में इससे पलटी मार गया.

इन गलियारों से जाल बिछाएगा चीन

न्यू सिल्क रोड के नाम से जानी जाने वाली ‘वन बेल्ट, वन रोड’ परियोजना के तहत छह आर्थिक गलियारे बन रहे हैं. चीन इन आर्थिक गलियारों के जरिए जमीनी और समुद्री परिवहन का जाल बिछा रहा है.

1.चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा

2. न्यू यूराशियन लैंड ब्रिज

3. चीन-मध्य एशिया-पश्चिम एशिया आर्थिक गलियारा

4. चीन-मंगोलिया-रूस आर्थिक गलियारा

5. बांग्लादेश-चीन-भारत-म्यांमार आर्थिक गलियारा

6. चीन-इंडोचाइना-प्रायद्वीप आर्थिक गलियारा

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