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महिला सशक्तिकरण पूरी आबादी के विकास से जुड़ा विषय है – प्रो.वीके मल्होत्रा

 

मध्यप्रदेश। डाॅ. बीआर अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय द्वारा जेण्डर संवेदनशीलता और संबंधित विषय पर आयोजित अकादमिक गतिविधियों के क्रम में 17 जुलाई को आईसीएसएसआर के मेम्बर सेकेट्ररी प्रो. वीके मल्होत्रा ने भारत में महिला सशक्तिकरण विषय पर बात करते हुए बताया कि महिला सशक्तिकरण का अर्थ महिलाओं में ऐसी क्षमताओं का विकास करना जिससे निर्णय प्रक्रियाओं में सक्रिय सहभागिता बढ़े। महिला अधिकारांे और कानूनी सुरक्षा को लेकर किये गये प्रयासों और आंदोलनों की ऐतिहासिकता पर विस्तार से चर्चा की। भारत में नारीवादी आंदोलनों से जेण्डर समानता समान मजदूरी, शिक्षा, स्वास्थ्य और संसाधनों तक पहुंच सहित सम्पत्ति के अधिकार संबंधी कानूनों में महिला अधिकार कार्यकर्ताओं की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। भूमण्डीकरण ने महिलाओं की समानता के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए नई चुनौतियां प्रस्तुत की है। उन्होंने महिला सशक्तिकरण में तकनीकि विकास एवं सोशल मीडिया की भूमिका का भी जिक्र किया। आगे कहा कि आज आवश्यकता है कि सामाजिक और आर्थिक बदलावों के साथ जेण्डर गैर बराबरी को समाप्त करते हुए विकास की धारा में आगे बढ़ना होगा और जिससे महिलाओं में क्षमता और दक्षता विकास के साथ महिला सशक्तिकरण का मार्ग सुगम होगा। सक्रिय भागीदारी, निर्णयकारी भूमिकाओं और विकास के सूचकांको को ध्यान में रखते हुये हमें आज जेण्डर समानता और संवेदनशीलता पर गंभीरता से विचार करना होगा। महिलाओं की आर्थिक स्थिति के संदर्भ में उन्होंने वैश्विक सूचकांक का उदाहरण देते हुए बताया कि दुनिया का ऐसा कोई देश नहीं है, जहां परकैपिटा इन्कम की हिस्सेदारी में महिलाओं की स्थिति पुरूषों की तुलना में बराबर या उससे अधिक हो। महिला सशक्तिकरण सिर्फ आधी आबादी के विकास की बात नहीं बल्कि परिवार, समाज और राष्ट्र के विकास के साथ पूरी आबादी से जुड़ता है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण विकासगामी पहलकदमियों की एक जरूरी और आवश्यक प्रक्रिया है, जिस पर हमें निरंतर अकादमिक व्यवहारिक एवं शोधपरक पहल करते रहना होगा। जेण्डर जैसे विषय को लेकर ब्राउस द्वारा इस अकादमिक प्रयास को उन्होंने सराहा।

अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए कुलपति महोदया प्रो. आशा शुक्ला ने कहा कि एक माह तक चलने वाले इस अकादमिक परिचर्चा से कई नये विषय निकलकर सामने आये हैं, जिन पर नये सिरे से शोध और अध्ययन किये जाने की आवश्यकता है। वैश्विक महामारी के दौर में महिलाओं की आर्थिक, सामाजिक एवं स्वास्थ्यगत सुरक्षा कहीं अधिक जरूरी है। आगे कहा कानूनी सुधारों एवं सुरक्षा के बावजूद जेण्डर गत विभेद और हिंसा की घटनाऐं यह दर्शाती है कि कानूनी प्रक्रियाओं के क्रियान्वयन में कहीं न कहीं कमी है और साथ ही जनमत की स्वीकार्यता भी नहीं है। हम सभी को इस दिशा में संयुक्त प्रयास इस करते हुए इस चक्रव्यूहं में फंसी मानवता को बाहर निकालना होगा।
आईक्यूएसी सेल के अध्यक्ष प्रो. डीके वर्मा ने स्वागत वक्तव्य देते हुए देश के पहले सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में आईसीएसएसआर के मेम्बर सेक्रेटरी प्रो. मल्होत्रा के विशिष्ट व्याख्यान को महत्वपूर्ण और दिशाबोध प्रदान करने वाला बताया। आभार प्रो. किशोर जाॅन एवं संचालन डाॅ. मनोज गुप्ता द्वारा किया गया।

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