बादल क्या करते है जब मानसून आता है कैसे होता यह सब जानें…
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]सारिका घारू[/mkd_highlight]
मानसून के आगमन के साथ ही आकाश में बादलों ने डेरा डालना आरंभ कर दिया है। बादलों का विज्ञान समझाने हमने एक मिनरल वाटर की खाली बोतल, माचिस की तीली और एक चम्मच पानी की मदद से बोतल भरकर बादल बना दिया। बादल पानी या बर्फ के हजारों नन्हे कणों से मिलकर बनते हैं। ये कण इतने हल्के होते हैं कि वे हवा में आसानी से उड़ते रहते हैं।
लगभग रोज दिखने वाले उंचाई पर उड़ने वाले सामान्य बादल सिरस कहलाते हैं। बर्फ के कणों से बने ये बादल हल्के और फुसफुसे होते है। रूई के ढेर की तरह दिखने वाले गहरे रंग के बादल क्युमुलस पानी से भरा कहलाते हैं इनसे ओलों की बरसात हो सकती हैं। ये एवरेस्ट पर्वत से दुगने उंचे हो सकते हैं।
निचाई पर स्थित बादल स्टेटस कहलाते हैं। ये पूरे आकाश को घेर लेते हैं। जब ये बादल वर्षा करते हैं तो इन्हें निंबोस्टेटस कहते हैं। जब गरम हवा उपर उठकर ठंडी हो जाती है तो बादलों में संघनन के कारण बूंदें बनती है।बादलों को देखकर मौसम की भविष्यवाणी की जा सकती है।
कैसे किया प्रयोग-
एक खाली बोतल में एक चम्मच पानी डालकर उसमें माचिस की जलती तीली डालकर बोतल का ढ़क्कन बंद कर दिया। जब बोतल को दबा कर छोड़ागया तो खाली बोतल बादल से भर गई। जब बोतल को दबाया गया तो अंदर की हवा का दाब बढ़ने से उसका ताप बढ़ा और चम्मच भर पानी गर्म होकर वाष्प में बदल गया । जब बोतल का दबाब कम किया गया तो वह वाष्प ठंडी होकर संघनित होकर बादल के रूप में दिखने लगी। जब बोतल का ढ़क्कन खोला गया तो बादल बाहर निकलते दिखे।
( लेखिका नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक है )