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व्यापमं : शिवराज सरकार ने ही दबा रखी थी 197 शिकायतें

-सत्ता में आने के नौ माह बाद अब कमलनाथ एक्शन मोड में 
   (कीर्ति राणा)
व्यापमं से जुड़ी 197 शिकायतों की जांच का जिम्मा पहली बार एसटीएफ को मिला है। ये वो सारी शिकायतें हैं जो 2015 से तत्कालीन शिवराज सरकार के वक्त से धूल खा रही थीं। सत्ता में आने के नौ महीने बाद अब कमलनाथ सरकार शिवराज सरकार के वक्त चर्चित व्यापम मामले की जांच में एक्शन मोड में आ गई है।इन शिकायतों की जांच इंदौर, ग्वालियर और भोपाल एसटीएफ को करना है।
व्यापमं जांच मामले में सरकार की तेजी का अंदाज इससे भी लगाया जा सकता है कि गठित की गई एसआईटी दो व्हिसिल ब्लोअर डॉ आनंद राय (इंदौर) और आशीष चतुर्वेदी (ग्वालियर) के बयान भी ले चुकी है। विधानसभा में निर्दलीय विधायक रहते इस मामले से जुड़े प्रश्न पूछने वाले पारस सकलेचा (रतलाम) और विधायक प्रताप ग्रेवाल (सरदारपुर) को बयान के लिएअगले सप्ताह बुलाया जा सकता है।
-एसटीएफ को 197 शिकायतों की जांच करना है
डीआईजी एसटीएफ अशोक अवस्थी ने ‘प्रजातंत्र’ से चर्चा में बताया कि एसटीएफ को 197 शिकायतों की जांच करना है।ये सारी शिकायतें 2015-17 के बीच की हैं। इनमें से कुछ शिकायतें सीबीआई से प्राप्त हुई हैं जिन्हें वो जांच में नहीं ले सकी और बाकी सीधे प्राप्त हुईं हैं।सरकार से मिली इन शिकायतों की पहली बार जांच होगी इसलिए टाईम लिमिट का बंधन इसलिए भी नहीं है कि 2005 से 08 से जुड़ी इन शिकायतों में संबंधितों से पूछताछ, दस्तावेज जुटाने आदि में वक्त लगेगा।मालवा क्षेत्र संबंधी शिकायतों की जांच एसपी एसटीएफ इंदौर पद्म विलोचन शुक्ला करेंगे तो ग्वालियर-चंबल क्षेत्र की शिकायतों पर एसपी एसटीएफ ग्वालियर अमित सिंह कार्रवाई करेंगे।भोपाल एसटीएफ एसपी राजेश सिंह भदौरिया भोपाल, जबलपुर और अन्य क्षेत्रों की शिकायतों की करेंगे।
तत्कालीन शिवराज सिंह चौहान सरकार नें भारी दबाव और सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद सीबीआई को जांच तो सौंप दी थी लेकिन सीबीआई ने करीब 1200शिकायतों में से सभी को जांच में नहीं लिया था।याचिकाकर्ता डॉ आनंद राय द्वारा कोर्ट के संज्ञान में मामला लाए जाने पर शासकीय अधिवक्ता ने भी कहा था कि पेडिंग शिकायतों की जांच राज्य सरकार करा सकती है।इन शिकायतों की फाइलें पिछले चार साल से धूल खा रही थीं।मप्र में सत्ता परिवर्तन के बाद कमलनाथ सरकार की पहली प्राथमिकता किसानों की कर्जमाफी वादा पूरा करना रही और इस व्यस्तता के चलते सरकार एक तरह से व्यापमं जांच वादे को लगभग भुला चुकी थी लेकिन पूर्व गृह-वित्त मंत्री चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद से मप्र सरकार पर शिवराज के बहाने भाजपा को घेरने का निरंतर बनता दबाव जैसे कारण रहे हैं कि सरकार ने व्यापमं की उन शिकायतों की जांच के लिए तीन एसआईटी गठित कर दी है।अब मप्र एसटीएफ के पास ऐसी करीब 197 शिकायतें हैं, जिनकी जांच न तो एसटीएफ कर रही थी और न ही सीबीआई। हालांकि सीबीआई सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उन्हीं मामलों की जांच कर रही है, जो उसे सौंपे गए हैं।
विधानसभा में गृह मंत्री द्वारा व्यापमं घोटाले की पुरानी शिकायतों की जांच कराने की घोषणा के बाद अब मामले में आई तेजी अगले कुछ महीनों में राजनीतिक उथलपुथल के हालात भी पैदा कर सकती है।बहुत संभव है तब शिवराज सिंह वैसे ही अलग थलग पड़ जाएं जैसे पहले लक्ष्मीकांत शर्मा से भाजपा सरकार ने किनारा कर लिया था।
-मैं बयान दे चुका हूं-डॉ आनंद राय 
आरटीआई कार्यकर्ता डॉ आनंद राय ने चर्चा में बताया मप्र एसटीएफ को 197 शिकायतों की जांच सौंपे जाने के बाद मुझे बयान के लिए भोपाल बुलाया था। मेरे और आशीष चतुर्वेदी (ग्वालियर) के बयान हो चुके हैं। डॉ राय का कहना था प्रशांत पांडे के जिन तथ्यों की जांच का कोर्ट से तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने अनुरोध किया था। वह एक्सल शीट के तथ्य सही नहीं निकले तो यह सिर्फ पांडे की शिकायत पर कोर्ट का निर्णय था बाकी शिकायतों की जांच सीबीआई कर रही है।हमारी मांग यह भी रही है कि 350 छात्रों का एडमिशन रद्द कर दिया लेकिन इन छात्रों से कथित लेनदेन के दोषी किसी भी कर्मचारी-अधिकारी-आयएएस को आरोपी नहीं बनाया गया।जिन 5निजी कॉलेजों ने स्टेट कोटे की 750 सीटें बेच डाली, व्यापमं के तत्कालीन डायरेक्टर सुरेश भदोरिया आदि अब तक कैसे बचे हुए हैं।
शिकायतकर्ताओं को बुलाना शुरू
मप्र एसटीएफ के विशेष महानिदेशक पुरुषोत्तम शर्मा के अनुसार एसआईटी ने अपने-अपने क्षेत्राधिकार के शिकायतकर्ताओं को बुलाना शुरू कर दिया है। शिकायतकर्ताओं के नाम-पतों पर नोटिस भेजे जा रहे हैं, ताकि उनसे साक्ष्य एकत्रित किए जा सके। अभी तक जिनकी जरूरत थी, सभी के पते मिल चुके हैं।

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