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मध्य प्रदेश चुनाव: व्यापमं घोटाले के आरोपी पूर्व मंत्री की कांग्रेस में वापसी से फजीहत

किरार समुदाय के वरिष्ठ नेता गुलाब सिंह किरार ने बुधवार को दावा किया कि उन्होंने भाजपा छोड़ते हुए कांग्रेस में “घर वापसी” कर ली है। उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा पर पिछड़ा वर्ग को उचित प्रतिनिधित्व से वंचित रखा है। हालांकि, विधानसभा चुनावों से महीना भर पहले इस पालाबदल से सूबे के प्रमुख विपक्षी दल के लिए बेहद असहज स्थिति उत्पन्न हो गयी है क्योंकि किरार सूबे के व्यापमं घोटाले के आरोपियों में शामिल हैं। इस घोटाले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी चुनाव प्रचार के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा पर तीखे हमले बोलते हैं।

किरार ने बुधवार को “पीटीआई-भाषा” से कहा, “कुछ साल पहले मैं कांग्रेस में ही था। शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद मैं भाजपा में शामिल हो गया था। मैंने मंगलवार को कांग्रेस में घर वापसी करते हुए इस पार्टी को बिना शर्त अपना समर्थन दे दिया है। मैं आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जिताने के लिए जुटूंगा।” उधर, प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने इन खबरों को खारिज किया है कि राहुल की मौजूदगी में पार्टी का दामन थामने वाले भाजपा नेताओं में किरार भी शामिल थे। ओझा ने कहा, “किरार को फिलहाल कांग्रेस में शामिल नहीं किया गया है।”

प्रदेश कांग्रेस ने अपने ट्विटर हैंडल (आईएनसीएमपी) पर मंगलवार को बाकायदा फोटो के साथ ट्वीट करते हुए किरार के पार्टी में शामिल होने की जानकारी दी थी। हालांकि, बाद में इस ट्वीट को हटा लिया गया था। गौरतलब है कि किरार प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के रिश्तेदार हैं। शिवराज सरकार ने किरार को मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग में सदस्य बनाकर राज्य मंत्री का दर्जा भी दिया था। हालांकि, व्यापमं घोटाले में आरोपी बनने के बाद जुलाई 2015 में किरार को भाजपा की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया था।

व्यापमं घोटाले के आरोपियों में शामिल किरार पर वर्ष 2011 में आयोजित प्री-पीजी परीक्षा में फर्जीवाड़े के जरिये अपने बेटे शक्तिप्रताप सिंह किरार का एक मेडिकल कॉलेज में दाखिला कराने का आरोप है। भाजपा से “मोहभंग” का सबब पूछे जाने पर किरार ने आरोप लगाया कि सूबे में इस दल की 15 वर्षीय सरकार में किरार समुदाय और पिछड़े वर्ग की अन्य जातियों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं मिला।

मोटे अनुमान के मुताबिक मध्यप्रदेश में किरार समुदाय की आबादी 15 लाख के आस-पास है। इस समुदाय के मतदाता खासकर ग्वालियर-चम्बल क्षेत्र में बड़ा असर रखते हैं। वहीं, भाजपा ने भी किरार से दूरी बना ली है। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, “निलंबन के बाद किरार को तय प्रक्रिया के तहत भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था। अब किरार के कांग्रेस में शामिल होने के बाद इस दल की हकीकत सबके सामने आ गयी है।”

इस बीच, व्यापमं घोटाले के व्हिसलब्लोअर डॉ. आनंद राय ने कहा कि चुनावी बेला में किरार के कांग्रेस के पाले में आने से व्यापमं घोटाले के अहम मुद्दे पर सूबे के प्रमुख विपक्षी दल का पक्ष कमजोर हुआ है। लेकिन इस घोटाले के आरोपियों को गले लगाने में सत्तारूढ़ भाजपा भी पीछे नहीं है। उन्होंने कहा, “खुद शिवराज ने व्यापमं घोटाले के अन्य आरोपी और प्रदेश के पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांत शर्मा के साथ पिछले दिनों एक चुनावी सभा में मंच साझा किया था।”

व्यापमं से जुड़े घोटाले का खुलासा वर्ष 2013 में हुआ था। यह मामला गिरोहबाजों, अधिकारियों और सियासी नेताओं की कथित सांठ-गांठ से राज्य सरकार की सेवाओं और पेशेवर पाठ्यक्रमों में उम्मीदवारों के गैरकानूनी प्रवेश से जुड़ा है।

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