समझें क्या होता है वक्री ग्रह का खगोलविज्ञान और ग्रहों में रिवर्स गियर
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]सारिका घारू[/mkd_highlight]
कोरोना काल में जब सब कुछ उल्टा पुल्टा सा नजर आ रहा है तब एस्टोलाॅजी संबंधित खबरों में ग्रहों के वक्री होने की बात जानकर आम लोगों को ग्रहों के रिवर्स गियर में चलने का अंदाज लगता है। जबकि सामान्य विद्यार्थी भी जानता है कि सोलरसिस्टम में सभी प्लेनेट सूर्य की परिक्रमा एक ही दिशा में चलते हुये करते रहते हैं। फिर ग्रहों का वक्री हो जाना क्या होता है। इसे समझाने के लिए हमने एक मॉडल बनाया।
मॉडल के माध्यम से समझे कि सभी ग्रह अपने ही पथ पर चलते हये सूर्य की परिक्रमा करते है। आकाश में कोई नगर, पहाड़ आदि वस्तुये तो हैं नहीीं कि बता सकें कि कोई ग्रह किस पहाड़ या नगर के पास हैै। इसके लिये उनके पीछे दिखने वाले स्थाई रूप से दिखने वाले राषि तारामंडल को आधार माना जाता है जिसमें यह देखा जाता है कि कोई ग्रह इस समय किस तारामंडल के सामने है।
परिक्रमा करते हुये जब पड़ौसी ग्रह पृथ्वी के निकट आते हैं तो पृथ्वी की गति अधिक होने से उनके बगल में स्थित ये ग्रह पीछे छूटते नजर आते हैं अर्थात उनके बेकग्राउंड में वो तारामंडल दिखने लगता है जो कुछ दिन पहले दिखा था। इससे लगता है कि ग्रह वापस पुराने तारामंडल में जा रहा है।
सूर्य की परिक्रमा करते हुये अंडाकार पथ में ये पृथ्वी के निकट आते हैं तब इनके वक्री होने या उल्टे चलने का आभास होता है। एस्टोलाॅजी में शुुक्र,शानि और बृहस्पति इसी सप्ताह वक्री बताये गये हैं। इसका कारण यह है कि अपनी राह में चलते समय पृथ्वी की मुलाकात इस समय इन ग्रहो से होने जा रही है। और इनके वक्री हो जाने की बात के डर का आभास हो रहा है।
डरिये नहीं ग्रहों का तो सिद्धांत है एम जी हशमत का लिखा फिल्म तपस्या का गीत- जो राह चुनी तूने उसी राह पे राही चलते जाना रे, हो कितनी भी लंबी रात , दिया बन जलते जाना रे।
–समझें ग्रहों की उल्टी चाल को
मान लीजिये आप तेज गति से चलती कार में बैठे हैं और आपके आगे आप की ही दिषा में कोई बाईक जा रही है तो जैसे ही आप उस बाइक से आगे निकलेंगे तो आपको ऐसे लगेगा कि वह आगे नहीं बढ़ कर उल्टा चल रहा है जबकि वास्तव में वह आपकी ही दिशा में आ रहा है।
( लेखिका नेशनल आवर्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक है )