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फीस बढ़ोतरी: उत्तराखंड सरकार के हस्तक्षेप के बाद निजी मेडिकल कॉलेजों का रोल बैक

नई दिल्ली: उत्तराखंड के निजी मेडिकल कॉलेजों द्वारा फीस में 300 फीसदी की बेतहाशा बढ़ोतरी पर बीजेपी सरकार निशाने पर है। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मेडिकल संस्थानों के प्रतिनिधि उनसे मिले थे और खर्च का हवाला देते हुए फीस बढ़ाने की मांग की थी। लेकिन बाद में पता चला कि फीस में कई गुना का इजाफा कर दिया गया। सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि जो लोग सरकार की मंशा के खिलाफ फीस ले रहे हैं, उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने मेडिकल संस्थानों के प्रतिनिधियों से बात की है और उन लोगों ने फीस बढ़ोतरी को वापस ले लिया है।

उत्तराखंड सरकार ने नॉन एडेड निजी व्यावसायिक शिक्षण संस्थाओं (प्रवेश तथा शुल्क निर्धारण विनियम) अधिनियम, 2006 में संशोधन किया है। गैरसैंण विधानसभा सत्र में इस अधिनियम में संशोधन विधेयक पारित किया गया। इसके बाद निजी विश्वविद्यालय बन चुके निजी मेडिकल कॉलेजों एसजीआरआर, सुभारती और हिमालयन विश्वविद्यालय के फीस नियंत्रण पर प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति का हस्तक्षेप खत्म हो गया। निजी विश्वविद्यालयों को मेडिकल की फीस खुद तय करने में अड़ंगा भी हट गया। इसके बाद मेडिकल कॉलेजों ने छात्रों के लिए मौजूदा शुल्क में वृद्धि कर दी थी।

छात्रों और अभिभावकों के असंतोष के बाद शुल्क वृद्धि के फैसले की आलोचना के बाद सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ा। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के छात्रों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाएगा। कॉलेजों की ओर से शुल्क वृद्धि वापस लेने के फैसले से छात्रों को फायदा होगा। उन्होंने यह भी कहा कि निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों ने पहले उनसे मुलाकात कर कॉलेजों में अवस्थापना सुविधाओं के विकास पर बड़ी धनराशि खर्च किए जाने का मुद्दा उठाया था।

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