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तीन तलाक पर कांग्रेस को घेरने के लिए मोदी सरकार ने बनाई रणनीति

केंद्र सरकार मॉनसून सत्र के अंतिम दिन राज्यसभा में संशोधन के साथ एक बार फिर से तीन तलाक बिल पेश करेगी. गुरुवार को मोदी कैबिनेट ने इस बिल में संशोधन किए हैं, जिसके बाद अब बिल के पास होने की उम्मीद जताई जा रही है. इससे पहले कांग्रेस ने इस बिल में कई तरह की कमियां बताई थीं, जिसके बाद बिल को संशोधित किया गया.

तीन तलाक बिल में किए गए ये संशोधन

– ट्रायल से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट दे सकता है आरोपी को जमानत.

– पीड़िता, परिजन और खून के रिश्तेदार ही एफआईआर दर्ज करा सकते हैं.

– मजिस्ट्रेट को पति-पत्नी के बीच समझौता कराकर शादी बरकरार रखने का अधिकार होगा.

– एक बार में तीन तलाक बिल की पीड़ित महिला मुआवजे की अधिकार

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि तीन तलाक बिल में ये संशोधन ज़रूरी थे. इसलिए कैबिनेट ने इन संशोधनों को मंज़ूरी दी है. रविशंकर प्रसाद ने भी बताया कि 2017 में तीन तलाक के कुल 389 केस सामने आये और 160 केस सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने के बाद सामने आए हैं.

आज मोदी सरकार की कोशिश होगी कि राज्यसभा में तीन तलाक बिल को नए संशोधनों के साथ पास कराके आज ही लोकसभा से पास कराके इसे कानून का रूप दिया जाए. पिछले सत्र में विपक्ष ने कुछ कमियां बताते हुए बिल को सेलेक्ट कमेटी भेजने का प्रस्ताव रखा था. सरकार ने इसे नहीं माना था. जिसके बाद ये बिल हंगामे की भेंट चढ़ गया था.

पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने तीन तलाक पर कांग्रेस को घेरने की जो रणनीति बनाई है उसके मुताबिक अगर कांग्रेस इस बिल का समर्थन करती है तो उनके मुस्लिम वोट बैंक पर 100 प्रतिशत असर पड़ेगा. अगर कांग्रेस एक बार फिर बिल का विरोध करती है तो बीजेपी पूरे देश में ये संदेश देने की कोशिश करेगी कि कांग्रेस तीन तलाक की पीड़ित महिलाओं का साथ सिर्फ़ वोट बैंक पॉलिटिक्स के चलते नहीं कर रही है.

जिस तरह से रविशंकर प्रसाद ने सोनिया गांधी से सवाल पूछा है कि मुस्लिम महिलाओं के सम्मान के लिए इस बिल के समर्थन के लिए खड़ी होंगी या नहीं ? इसका मतलब साफ है कि संसद के इस सत्र में तीन तलाक़ बिल पास नहीं होता है तो सरकार इसके कांग्रेस को जिम्मेदार बताएगी.

पीएम मोदी और अमित शाह ने तीन तलाक को लेकर जिस तरह की रणनीति बनाई है उसको देखकर तो लगता है कि आने वाले मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव और 2019 के लोकसभा चुनाव में तीन तलाक़ बिल का फ़ायदा उन्हें मिलेगा और इसका सीधा नुकसान कांग्रेस को होगा.

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