TODAY’S HISTORY: क्या आप जानते हैं आज के दिन क्या हुआ था?
Today’s History (आज का इतिहास) 18-April
18 अप्रैल 1858 को आधुनिक भारत के सबसे बड़े समाज सुधारक और उद्वारक धोंडो केशव कर्वे का जन्म हुआ।धोंडो केशव कर्वे ने अपना सारा जीवन महिलाओं के कल्याण के क्षेत्र में समर्पित कर दिया, उन्होंने विधवाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने में भी अग्रिण काम किया।धोंडो केशव कर्वे को “महर्षी कर्वे” के नाम से भी जाना जाता है।महर्षी कर्वे ने गांवों में शिक्षा को सहज सुलभ बनाने और उसके प्रसार के लिए उन्होंने चंदा एकत्र कर लगभग 50 से अधिक प्राइमरी विद्यालयों का स्थापना की थी।महर्षि कर्वे ने ‘इंडियन सोशल कॉन्फ्रेंस’ के अध्यक्ष के रूप में समाज में व्याप्त बुराइयों को समाप्त करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया।सन 1942 में महर्षी कर्वे को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा ‘डॉक्टरेट’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। सन 1951 में उनके विश्वविद्यालय को ‘राष्ट्रीय विश्वविद्यालय’ का दर्जा प्राप्त हुआ इसी वर्ष पुणे विश्वविद्यालय ने महर्षि कर्वे को ‘डी.लिट.’ की उपाधि प्रदान की महर्षी कर्वे के महान समाज सुधार के कार्यों के सम्मान स्वरूप 1955 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया।सन 1958 में महर्षी कर्वे ने अपने जीवन के 100 वर्ष पूरे किए देशभर में उनकी जन्म शताब्दी मनाई गई इस अवसर को अविस्मरणीय बनाते हुए भारत सरकार द्वारा इसी वर्ष उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया।भारत सरकार द्वारा उनके सम्मान और स्मृति में एक डाक टिकट जारी किया गया।
18 अप्रैल 1859 को तात्या टोपे को अंग्रेजों द्वारा फांसी दी गई थी। रामचंद्र पांडुरंग टोपे जिन्हें टंटियां टोपे, तात्या टोपे के नाम से भी जाना जाता है। तात्या टोपे सन 1857 के विद्रोह में सबसे उल्लेखनीय भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों में से एक है।तात्या टोपे ने ‘गोरिल्ला युद्ध’ प्रणाली को अपनाते हुए अंग्रेजी सेनाओं के छक्के छुड़ा दिए।
18 अप्रैल 1901 को भारत के एक अच्छे राजनीतिज्ञ चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह का जन्म हुआ। वे नेपाल में भारत के पहले राजदूत थे और सन 1958 से जापान के राजदूत थे।वे पंजाब और उत्तर प्रदेश के गवर्नर भी रहे। चंद्रेश्वर प्रसाद नारायण सिंह द्वारा देश को प्रदान की गई सराहनीय सेवाओं के लिए 1977 में ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया।
18 अप्रैल 1906 को सैन फ्रांसिस्को में आए भूकंप और उसके बाद आग लगने से लगभग 3000 लोगों की मौत हुई और 28 हजार से ज्यादा इमारतें नष्ट हो गई।
18 अप्रैल 1916 हिंदी सिनेमा की प्रसिद्ध अभिनेत्री ललिता पवार का जन्म हुआ।ललिता पवार का वास्तविक नाम ‘अंबा लक्ष्मण राव शगुन’ है। फिल्म इंडस्ट्री में ललिता पवार ने सात दशक का लंबा सफर तय किया, और कई यादगार फिल्में दी जैसे: फिल्म ‘जंगली’ की सख्त मां, ‘श्री 420’ की केले बेचने वाली गंगा माई, ‘आनंद’ की संवेदनशील मातृछवि वाली मैट्रन, फिल्म ‘अनाड़ी’ की मिसेस डिसूजा, ‘फिर वही रात’ की हॉस्टल वार्डन।रामानंद सागर द्वारा निर्मित ‘रामायण’ धारावाहिक में ‘मंथरा’ के किरदार को जैसे जीवित ही कर दिया ललिता पवार ने अपने अभिनय से।ललिता पवार ने मूक (साइलेंट) फिल्मों से लेकर बोलती फिल्मों तक का सफर तय किया। मुख्य भूमिका निभाती ललिता पवार एक दुर्घटना की शिकार हुई जिसमें उनका चेहरा बिगड़ गया लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अभिनय का साथ नहीं छोड़ते हुए चरित्र-प्रधान रोल करने लगी। साल 1944 में फिल्म ‘रामशास्त्री’ में अपनी खराब हो चुकी बाई आंख का कलात्मक प्रयोग क्रूर और परंपरागत सास की भूमिका में किया। उनकी यह भूमिका उनकी सर्वाधिक मशहूर स्क्रीन इमेज बन गई। साल 1959 फिल्म ‘अनाड़ी’ की मिसेज डिसूजा की भूमिका ने उनको “सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री” का पुरस्कार दिलवाया। सन 1961 में ललिता पवार को ‘संगीत नाटक अकादमी’ पुरस्कार भी मिला।
18 अप्रैल 1923 को ब्रोंक्स में पहला यंकी स्टेडियम(yankee stadium) खुला।
18 अप्रैल 1928 भारतीय सिनेमा की जानी मानी अभिनेत्री दुलारी का जन्म हुआ। दुलारी का वास्तविक नाम अंबिका गौतम है। दुलारी करीब 135 फिल्मों में छोटी- बड़ी चरित्र भूमिकाओं में नजर आई। जैसे 1961 में ‘जब प्यार किसी से होता है’, सन 1963 में ‘मुझे जीने दो’, सन 1968 ‘पड़ोसन’,सन 1975 में ‘दीवार’।
18 अप्रैल 1955 को जाने माने वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन हुआ।आइंस्टाइन ने सापेक्षता के विशेष और सामान्य सिद्धांत सहित कई योगदान दिए। उनके अन्य योगदानों में- सापेक्ष ब्रह्मांड, केशिकीय गति, क्रांतिक उपच्छाया, सांख्यिक मैकेनिक्स की समस्याऍ, अणुओं का ब्राउनियन गति, अणुओं की उत्परिवर्त्तन संभाव्यता, एक अणु वाले गैस का क्वांटम सिद्धांत, कम विकिरण घनत्व वाले प्रकाश के ऊष्मीय गुण, विकिरण के सिद्धांत, एकीक्रीत क्षेत्र सिद्धांत और भौतिकी का ज्यामितीकरण शामिल है।
18 अप्रैल 1959 को भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी तथा पत्रकार बारीन्द्र कुमार घोष का निधन हुआ।बारीन्द्र कुमार घोष ‘बारिन घोष’ के नाम से भी जाना जाता है। बारिन घोष “युगांतर” के संपादकों में से एक थे।अपने उद्देश्यों की पूर्ति हेतु 1906 में उन्होंने भूपेन्द्र नाथ दत्त के साथ मिलकर “युगांतर” नमक साप्ताहिक पत्र बांगला भाषा में प्रकाशित करना शुरू किया और क्रांति के प्रचार में इस पत्र का सर्वाधिक योगदान रहा। इस पत्र ने लोगों में राजनीतिक व धार्मिक शिक्षा का प्रसार किया। जल्द ही इस नाम से एक क्रांतिकारी संगठन भी बन गया।
18 अप्रैल 1991 को केरल देश का पहला पूर्ण साक्षर राज्य घोषित हुआ।
18 अप्रैल 2001 को भारतीय सीमा में घुस आई बांग्लादेश की सेना की गोलाबारी से भारत के 16 जवान शहीद हुए।18 अप्रैल 2003 को सुधाकर पाण्डेय का निधन हुआ।वे हिंदी साहित्य की प्रमुख विधाओं के उत्कृष्ठ लेखक और सुधारक थे,ये वर्ष 1971 में कांग्रेस के उम्मीदवार और सांसद भी चुने गए ।
18 अप्रैल 2006 को नील आर्म स्ट्रांग को ‘नासा अन्वेषण राजदूत’ के पुरस्कार से सम्मानित किया गया,साथ ही चांद पर चलने वाले पहले व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग को उन्हीं के द्वारा चांद की सतह से लाया गया चट्टान के टुकड़े में से एक टुकड़ा पुरस्कार के तौर पर साथ में दिया गया।
18 अप्रैल 2008 को भारत और मैक्सिको ने नागरिक उडृडयन और ऊर्जा के क्षेत्र में नये समझौते किए।