वो आंखें लेकर रोशनी देते है,अब तक कई लोगों को मिली दृष्टि
— इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है कमल झंवर का नाम
— नेत्रदान प्रेरक के रूप में कर रहे उल्लेख्नीय कार्य
(अनुराग शर्मा)
मध्यप्रदेश। कहते हैं आंखों के बिना सतरंगी दुनियां भी बेरंगी है, लेकिन समय पर सही मददगार मिल जाए तो बेरंगी दुनियां भी सतरंगी हो सकती है। प्रदेश की राजधानी भोपाल का नजदीका जिला सीहोर के कमल झंवर पिछले बीस साल से ऐसे लोगों के मददगार साबित हो रहे हैं, जिनकी दुनियां बेरंगी है। बिना किसी सरकारी मदद के ये अभी तक 400 दृष्टिहीन को रोशनई दे चुके हैं। 150 से अधिक व्यक्तियो का नेत्रदान कराने ने लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में इनका नाम दर्ज है। 60 वर्षीय कमल झंवर कहते हैं कि उनका वह हर उस शख्स की मदद करना चाहते हैं, जिसके लिए सतरंगी दुनियां बेरंगी है।
कमल झंवर ने बताया कि वह साल 1995 से नेत्रदान कराने का काम कर रहे हैं। वे 5 साल से लेकर 100 साल तक के लोगों के नेत्रदान करा चुके हैं। अभी तक करीब 200 से अधिक लोगों ने उसके माध्यम से नेत्रदान किया है। वे सीहोर स्वास्थ्य अमले की मदद से नेत्रों को बैरागढ़ सेवा सदन ट्रस्ट में भेजते हैं। यहां नेत्र रोगियों का इलाज किया जाता है।
कमल झ्वर को सीहोर में नेत्र पेरक के रूप में जाना जाता है ऐसा नही की ये काम आसान है अपने परिजन की मौत से गम जादा परिवार के लोगो को नेत्र दान करने के लिए प्ररित करना बहुत मुश्किल कार्य है और कई बार परिजनों से अपमानित भी होना पड़ा मगर इन सबके बावजूद कमल झवर ने हार नही मानी और अपने कुछ मित्रों के साथ कमल झ्वर इस पुनीत कार्य मे लगे रहे उम्र के इस पड़ाव में कमल झ्वर की सिर्फ एक ही पीड़ा है कि मेरे बाद कोई इस कार्य को कोई संभाल ले ताकि नेत्रहीनों की दुनिया भी रोशन हो सके,आज भी अपनी ढलती उम्र के बावजूद कमल झवर नेत्रहीनो की जिंदगी को रोशन करने का कार्य कर रहे है।