जुलाई माह में होगी कई खगोलीय घटनाएं , भारत में क्या होगा असर ?
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]सारिका घारू[/mkd_highlight]
रिमझिम बरसात और बादलो के साये में आकाश में अनेक खगोलीय घटनाएं जुलाई माह में होने जा रही हैं। जहां 5 जुलाई गुरू पूर्णिमा को सुबह सबेरे जब भारत में चंद्रमा आकाश से विदा हो चुका होगा तब दक्षिण एवं उत्तरी अमेरिका में होने जा रही शाम को तथा पश्चिमी अफ्रीका में चंद्रमा के अस्त होते हुये उपछाया चंद्रग्रहण दिख रहा होगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखेगा।
- 14 जुलाई की शाम को सौर परिवार का सबसे बड़ा ग्रह जुपिटर, पृथ्वी और सूर्य एक सीधी में होगें। इस शाम जब सूर्य पष्चिम में अस्त हो रहा होगा तब पूर्व में जुपिटर उदित हो रहा होगा। जुपिटर,पृथ्वी और सूर्य के एक सीध में आ जाना जुपिटर एट अपोजिशन कहलाता है। इस पूरी रात आकाष में जुपिटर रहेगा। इस समय इसे देखा जाना सबसे अच्छा होगा क्योंकि यह हमसे करीब होगा।
20 जुलाई अमावस्या की शाम को आकाश में चांद तो नहीं दिखेगा लेकिन आम लोगों को भयभीत करने के मिथक वाला सबसे सुंदर ग्रह सेटर्न या शनि पृथ्वी और सूर्य एक सीधी रेखा पर होगे । इसे सेटर्न एट अपोजिषन कहते हैं। पृथ्वी के पास होने से इसे टेलिस्कोप से देखने पर इसके रिंग ओर इसके कुछ चंद्रमा देखे जा सकते हैं।
22 जुलाई को सुबह सबेरे सूर्यादय के ठीक पहले पूर्र्वी आकाश में मरकरी या बुध ग्रह को आकाश में अच्छे से देखा जा सकेगा। इस दिन यह सूर्य से 20 डिग्री उपर उठा दिखेगा। इसे मरकरी एट ग्रेटेस्ट वेस्टर्न इलोंगेशन की घटना कहते हैं। जुलाई माह की बिदाई के मौके पर मानसूनी बरसात न होने पर 28 जुलाई की रात्रि को आकाश में टूटते तारों की औसत बरसात देखी जा सकेगी। इसे डेल्टा एक्यूरिड मेटियोर शाॅवर कहते हैं। तो कर लीजिये तैयारी मानसून की रिमझिम के साथ खगोलीय बरसात की।
5 जुलाई – उपछाया चंद्रग्रहण पेनुम्ब्रल लुनार इकलिप्स
14 जुलाई – जुपिटर एट अपोजिशन
20 जुलाई – सेटर्न एट अपोजिशन
22 जुलाई – मरकरी एट वेस्टर्न इलोंगेशन
28 जुलाई – डेल्टा एक्यूरिड मेटियोर शाॅवर
( लेखिका नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक है )