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पहले दिन से ही ढिलाई रही मप्र सरकार की और भुगतना पड़ा उज्जैन कलेक्टर को

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कीर्ति राणा[/mkd_highlight]

 

 

मध्यप्रदेश। कोरोना के बिगड़ते हालात पर काबू न कर पाना उज्जैन कलेक्टर शशांक मिश्रा को ताबड़तोड़ हटाने का कारण बना जबकि उनका जाना तो उसी दिन तय हो गया था जब इंदौर कलेक्टर लोकेश जाटव की ढिलाई का दंड डीआयजी रुचिवर्द्धन मिश्रा को भी भुगतना पड़ा। उनके इंदौर में पदस्थ रहने की वजह से पति शशांक मिश्रा को उज्जैन कलेक्टरी सौंपी गई थी। पत्नी का जब इंदौर से तबादला हो गया तो पति का भी होना ही था। तब नहीं हुआ, तो अब कोरोना का दाग लग कर हुआ, ऐसा ही दाग उज्जैन कलेक्टर रहने के दौरान मनीष सिंह पर शनिश्रचरी अमावस्या पर स्नान के लिए साफ पानी का इंतजाम नहीं करने का लगा था।

दरअसल उज्जैन में बेकाबू होते कोरोना के लिए असली दोषी तो सरकार और भाजपा के स्थानीय नेता हैं जिनके गठबंधन के चलते आज तक सरकारी मेडिकल कॉलेज इसलिए स्थापित नहीं हो सका ताकि आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज का रुतबा कम न हो जाए।सरकार ने अपनी खामियों पर पर्दा डालने के लिए मोहरा कलेक्टर को बना डाला।उज्जैन में कोरोना से मौत पूरे देश में सर्वाधिक 21 फीसदी होना सरकार के लिए चिंता का विषय तो है लेकिन यह स्थिति प्रशासनिक नाकामी से अधिक राजनीतिक दबाव के कारण बनती गई है। उज्जैन की आबादी 5 लाख के मान से मौत 40, संक्रमित 185 और ठीक होने का आंकड़ा 32 रहा है, इंदौर की आबादी 30 लाख से अधिक मानी जाए तो भी मौत का आंकड़ा 79 और संक्रमित 1654 हैं।

उज्जैन में 25 मार्च को कोरोना संक्रमित मरीज लक्ष्मीबाई चौहान की पहली मौत में भी आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज की हठधर्मिता सामने आई थी। आज तारीख तक कोरोना से हुई 40 मौतों में आधी मौतों में कहीं न कहीं इसी कॉलेज पर अंगुली उठती रही है।अब स्थानीय भाजपा नेता गुस्से में नजर आने लगे हैं तो उसकी वजह उनके दल के पार्षद की मौत है। इससे पहले तक इन सब के मुंह में भी दही जमा था।

सीएम ने भोपाल से ऊर्जा सचिव नितेश व्यास को ताबड़तोड़ भेजा तो था उज्जैन में व्यवस्था बेहतर कर, मेडिकल कॉलेज पर नियंत्रण के लिए लेकिन भोपाल में बैठे आयुक्त सवास्थय फैज अहमद किदवई से लेकर नितेश व्यास तक आरडी गार्डी कॉलेज प्रशासन की शर्तों के आगे शरणम गच्छामि हो गए। सख्ती के बदले 4 करोड़ रु प्रतिमाह कॉलेज को देने वाला समझौते का रास्ता निकल आया।

भाजपा के मिश्री से मीठे एक पूर्व मंत्री की कृपा दृष्टि वाले आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज के निरंकुश प्रशासन पर नकेल नहीं लगाने की नाकामी से बढ़ती बदइंतजामी का ही नतीजा रहा कि एक भाजपा पार्षद मुजफ्फर हुसैन सहित अन्य मरीज भी बेवक्त मौत के शिकार हो गए।एक जैसे अपराध में दोहरे मापदंड में इंदौर से अपने (कोराना संक्रमित) परिजनों को लाने वाले सिविल हॉस्पिटल के एंबुलेंस चालक सरफराज को जेल भेज दिया जाता है और उक्त मेडिकल कॉलेज के प्रमुख डॉ वीके महाडिक कोरोना संक्रमित अपने भाई नरेंद्र जैन का अस्पताल में चोरी छिपे इलाज कराते रहते हैं।

अन्य मरीजों में कोरोना संक्रमण फैलता जाता है लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते क्वारेंटाइन के नाम पर पुलिस संरक्षण मिल जाता है। आरडी गार्डी कॉलेज में हालात काबू में तब आने लगे जब संभागायुक्त आनंद शर्मा के निर्देश पर अपर कलेक्टर सुजान सिंह रावत ने प्रशासनिक अधिकारी के रूप में कॉलेज में काम संभाला।

मध्य प्रदेश में भोपाल, इंदौर और उज्जैन ये तीन शहर रेड जोन में शीर्ष पर हैं। भोपाल में, इंदौर में मेडिकल कॉलेज हैं, उज्जैन में वर्षों से की जा रही इस मांग को दिग्विजय सिंह के बाद पिछले तेरह वर्षों में तो भाजपा भी अनसुना करती रही है, अब फिर शिवराज सिंह सीएम हैं पर लगता नहीं उज्जैन को मेडिकल कॉलेज दे सकें।

बेहतर उपचार के इंतजामों में नाकामी का ही नतीजा है कि अब उज्जैन के मरीजों के लिए भी अरबिंदो अस्पताल में शिफ्ट करने की प्लानिंग पर काम किया जा रहा है, यदि यही करना है तो कोरोना और बदइंतजामी के कारण जान गंवा चुके मरीजों के परिजनों को यह पूछने का भी हक है कि फिर आरडी गार्डी मेडिकल कॉलेज से 4 करोड़ रु महीने के समझौते को जारी रखना क्या मजबूरी है।

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