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मप्र बीजेपी सरकार में हुए ई-टेण्डरिंग तीन हजार करोड के घोटाले में अपराधिक प्रकरण दर्ज

— राजनेताओं और अधिकारियों को अज्ञात रखा

— 9 टेंडर में की गई हेराफेरी,टेंडर लेने वाली कं​पनियों के संचालक भी बनाए गए आरोपी

मप्र । भारतीय जनता पार्टी की सरकार में हुए ई-टेण्डरिंग घोटाले में आखिरकार कांग्रेस सरकार ने एफआईआर दर्ज करवा दी है। अर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) ने मामले में अपराध पंजीबद्व किया है। अब ईओडब्ल्यू मामले की विवेचना करेगा। पंजीबद्व की गई एफआईआर में कुछ नामजद अधिकारी, कर्मचारी और प्राइवेट कंपनी संचालक है,जबकि राजनेताओं और आईएएस को अज्ञात आरोपियों की श्रेणी में दर्ज किया गया है।

जानकारी के अनुसार बुधवार 10 अप्रैल 2019 को अर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू ) ने जानकारी दी कि ई-टेंडरिंग को संचालित करने वाले ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेडछाड के करने के मामले में प्रारंभिक जांच में पाय गए सक्ष्यों के बाद प्रकरण दर्ज किया गया है। ई-टेंडरिंग में लगभग तीन हजार करोड का घोटाला किया गया है। इसकी तकनिकी जांच में पाया गया कि ई प्रोक्योरमेंट पोर्टल में छेडछाड कर मप्र जल निगम के 3 टेंडर, लोकनिर्माण विभाग के 2, जल संसाधन विभाग के 2,मप्र सडक विकास निगम के एक, लोक निर्माण विभाग की पीआईयू इकाई का एक इस प्रकार कुल 9 टेंडरों में साफ्टवेयर में छेडछाड कर पंसदी की कंपनियों को लाभ पहुंचाया है। जिसमें हैदराबाद की कांस्ट्रक्शन कंपनियां मेसर्स जीवीपीआर लिमिटेड,मेसर्स मैक्स मेंटेना लिमिटेड,मुबंई की कांस्ट्रक्शन कंपनी ह्यूम पाइप लिमिटेड, मेसर्स जेएमसी लिमिटेड, बडौदा की कांस्ट्रक्शन कंपनियांसोरिठा बेलजी प्रा.लिमिटेड,मेसर्स माधव इन्फ्रा लिमिटेड और भोपाल की कांस्ट्रक्शन कंपनी रामकुमार नरवानी लिमिटेड के संचालाकों और भोपाल की साफ्टवेयर कंपनी आंस्मो आईटी सॉल्यूशन लिमिटेड कंपनी के संचालक, एमपीएसईडीसी भोपाल के अज्ञात कर्मचारी,मप्र के संबधित विभागों के अधिकारी, कर्मचारी, सफ्टवेयर कंपनी एन्ट्रेस प्रा.लि. बैंगलोर,टीसीएस के अधिकारी,कर्मचारी और अन्य अज्ञात राजनेताओं,ब्यूरो केटस पर भारतीय दंड विधान की धारा 120 बी,420,468,471 और आइटी एक्ट 2000 की धारा 66, भष्ट्राचार निवारण अधिनियम संसोधन 2018 की धारा 7 सहपठित धारा 13 2 के तहत अपराध दर्ज कर विवेचना शुरू की गई है।

—राजनेताओं और ब्यूरोकेट्स को क्यों बचाया?

मप्र में इनकम टेक्स छापा पडने के बाद कांग्रेस सरकार ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए घोटालों की फाइलें खोलना शुरू कर दिया। ई-टेंडरिंग घोटाले में एफआईआर भी दर्ज हो गई,लेकिन इस एफआईआर में राजनेताओं और ब्यूरोकेट्स को बचाया गया है। तीन हजार करोड के घोटाले में अज्ञात राजनेताओं और ब्यूरोकेट्स के नाम पता ही नहीं चले,कुछ अजीब सा लगता है। जबकि कंपनी सहित कर्मचारी, कंपनी संचालक सबकी भूमिका पाई गई,तो फिर राजनेताओं और ब्यूरोकेट्स को नामजद क्यों नहीं किया गया है। क्या यह माना जा सकता है कि बिना राजनेताओं और ब्यूरोकेट्स के तीन हजार करोड का घोटाला हो सकता है? कोई नहीं मानेगा। फिर कांग्रेस सरकार ने मप्र के घोटालेबाज राजनेताओं और ब्यूरोकेट्स को अज्ञात लिखवाकर क्यों बचाया है।

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