MP में 6 दिसंबर से कड़ाके की सर्दी:ग्वालियर-जबलपुर में 6 डिग्री तक आएगा टेम्प्रेचर; इंदौर-भोपाल में 8 डिग्री तापमान
मध्यप्रदेश में अब 6 दिसंबर से कड़ाके की सर्दी पड़ने लगेगी। मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक ग्वालियर और जबलपुर में रात का टेंप्रेचर 6 डिग्री सेल्सियस या उससे नीचे आ सकता है। हालांकि इंदौर-भोपाल में 10 से 8 डिग्री तक तापमान जा सकता है।
मौसम वैज्ञानिक अशफाक हुसैन ने बताया कि पाकिस्तान से आ रही हवाएं हिमालय के ऊपर सक्रिय हैं। यह 5 दिसंबर तक सक्रिय रहेगा। उसके जाते ही तापमान में गिरावट होगी। इसकी एंट्री ग्वालियर-चंबल से होगी।
दिन में पारा 30 डिग्री के नीचे आएगा
मध्यप्रदेश में अभी दिन का पारा 26 से 28 डिग्री सेल्सियस के बीच चल रहा है। 6 दिसंबर से यह 26 डिग्री सेल्सियस से कम हो सकता है। ऐसे में दिन भी हल्की सर्दी महसूस हो सकती है। रात का पारा ज्यादा गिरने के कारण रात को अधिक सर्दी महसूस होगी। मौसम विभाग का कहना है कि रात के समय सर्दी में ज्यादा देर नहीं रहना चाहिए। यही नहीं, सर्दी से बचने के लिए कई सतहों में गर्म कपड़े पहना चाहिए।
दिन और रात के तापमान सामान्य से अधिक हो गए
मध्यप्रदेश में अभी दिन और रात के तापमान काफी चढ़ गया है। प्रदेश के अधिकांश इलाकों में दिन का पारा 26 डिग्री सेल्सियस से ऊपर और रात का 12 डिग्री से ऊपर चला गया है। अभी तीन दिन मौसम इसी तरह बना रहेगा। 6 दिसंबर से मौसम में अचानक बदलाव होगा।
दो तीन दिन जगह ही तापमान में सामान्य से कम
सिवनी और नरसिंहपुर में शनिवार को दिन का पारा सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा नीचे चला गया। सबसे कम सिवनी में 22 डिग्री और नरसिंहपुर और रायसेन में 24-24 डिग्री सेल्सियस अधिकतम तापमान रहा। बैतूल और धार में न्यूनतम तापमान डेढ़ डिग्री से नीचे चला गया है। हालांकि दिन का पारा शनिवार को सभी इलाकों में एक से दो डिग्री सेल्सियस तक ऊपर चला गया है। रात का पारा भी एक से दो डिग्री तक चढ़ गए हैं। सिर्फ रासेन, पचमढ़ी और नौगांव में पारा 7 डिग्री के नीचे चल रहा है।
ज्यादा स्ट्रांग नहीं है सिस्टम
वैज्ञानिक हुसैन ने बताया कि अभी हिमालय के ऊपर सिस्टम बना हुआ है। हिमालय में अभी ज्यादा बर्फबारी नहीं हुई है। इस कारण से हवाएं ज्यादा प्रभाव कारी नहीं हो पा रही हैं, लेकिन हवाएं के नॉर्थनली होने से इसका मध्यप्रदेश में असर ठंड के रूप में पड़ेगा।
मौसम बदल रहा है
पहली बार ऐसा हो रहा है कि प्रशांत महासागर की समुद्री सतह का तापमान लगातार सामान्य से ज्यादा बना हुआ है। ला-नीना की परिस्थितियां लगातार सक्रिय हैं। इससे सर्दी पर असर पढ़ा है। यही कारण है कि इस बार नवंबर में मध्यप्रदेश का तापमान बीते 22 साल में सबसे कम रहा। हालांकि इसका लंबे समय तक ज्यादा नहीं होगा।