सुमित्रा महाजन : ’मेरी अब कोई नहीं सुनता’ इस दर्द को केंद्र ने समझा
— ‘पद्मभूषण’ मिलने पर सुमित्रा ‘ताई’ बोलीं
— मेरी सिफारिश किसने की, मुझे नहीं पता
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]कीर्ति राणा[/mkd_highlight]
मध्यप्रदेश। आठ बार सांसद और लोकसभा अध्यक्ष रहीं सुमित्रा महाजन का केंद्र सरकार द्वारा पद्मभूषण के लिए चयन करना उतना ही चौंकाने वाला है जितना उन्हें नौवीं बार लोकसभा चुनाव नहीं लड़ाने का नीतिगत निर्णय था।यह निर्णय खुद सुमित्रा महाजन को आश्चर्य में डालने वाला इसलिए भी है कि गांधी हॉल के जीर्णोद्धार कार्य का अवलोकन करने गईं ताई ने बड़े दुखी मन से कहा था कि मुझे तो अब कोई पूछता नहीं है।संभवत: केंद्र सरकार ने भी उनसे पूछे बिना ही उनके मान-सम्मान में अभिवृद्धि वाला यह निर्णय कर खासकर महाराष्ट्रीयन समाज के दिल में चुभती रही वह फांस भी निकाल दी है कि टिकट नहीं दिया तो कम से कम ताई को किसी राज्य का राज्यपाल बनाना था। पद्मभूषण के इस निर्णय से यह भी स्पष्ट हो गया है कि बीते पंद्रह सालों में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले ही ताई की सिफारिशों की अनदेखी करते रहे हों लेकिन पद्मभूषण ताई को अब राज्य सरकार को भी समुचित सम्मान देना होगा, बहुत संभव है कि सरकार नागरिक अभिनंदन की उदारता भी दिखा दे। चुनाव प्रचार के लिए दशहरा मैदान की सभा में आए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल खोलकर जब ताई की तारीफ की थी तो माना गया था कि घाव पर मरहम लगा रहे हैं और आज ताई के त्याग का कर्ज भी उतार दिया है।
सरकार के इस निर्णय से खुद ताई भी चमत्कृत हैं।इसकी वजह यह भी कि एक वक्त ऐसा भी था जब ऐसे निर्णयों में सांसद और लोकसभा स्पीकर रहते उनकी सिफारिश का महत्व होता था। जब उन्हें बधाई देने के लिए फोन किया तो ताई कहने लगीं अभी मैंने टीवी ऑन किया तो मुझे पता चला कि मुझे पद्मभूषण सम्मान का निर्णय हुआ है।मेरी सिफारिश किसने की मुझे नहीं पता।कहीं से कहीं तक मेरा नाम तो नहीं था, वरना कुछ तो भनक लगती।चलो जो मिला अच्छा है, मैंने तो मांगा नहीं था।मैं सभी को धन्यवाद देती हूं।
लगातार आठ बार इंदौर की सांसद रहीं सुमित्रा महाजन भगिनी मंडल में कथा-कीर्तन करते, राजमाता विजया राजे सिंधिया और भाजपा के पितृ पुरुष कुशाभाऊ ठाकरे के आशीर्वाद से साफ सुथरी छवि वाली सुमित्रा महाजन की राह आसान होती गई। वे निगम में एल्डरमेन और उप महापौर रहीं
— एक बार विधायक चुनाव लड़ा, लेकिन पराजित रहीं..
लोकसभा चुनाव में कॉमरेड होमीदाजी को हरा कर जिस तरह पीसी सेठी ने चौंकाया उसी तरह सांसद चुनाव में ताई ने इंदौर के विकास की चाबी पीसी सेठी से झपट कर चौंकाया था।लोकसभा के हर चुनाव में मीडिया के सवाल पर ताई का यही जवाब रहता था ये चाबी तो मेरे पास ही रहेगी।यही वजह रही कि ताई के हाथों पीसी सेठी, महेश जोशी, ललित जैन से लेकर मधुकर वर्मा, रामेश्वर पटेल सत्यनारायण पटेल, पंकज संघवी तक पराजित होते रहे।तमाम उम्मीदों के बाद जब नौंवी बार उन्हें (उम्र76 वर्ष हो जाने पर) टिकट नहीं मिला तो फीकी हंसी के साथ यह चाबी उन्होंने जिन शंकर लालवानी को सौंपी उन्होंने भी रेकार्ड(साढ़े पांच लाख से अधिक) मतों से जीत कर ताई समर्थकों को भी चौंका दिया था।
— लोकसभा की दूसरी महिला स्पीकर रहीं ताई
केंद्रीय मंत्री रहीं सुमित्रा महाजन लोकसभा की दूसरी महिला स्पीकर रहीं। उनसे पहले मीरा कुमार अध्यक्ष रही हैं।अध्यक्ष पद से ताई की सेवानिवृत्त के बाद कोटा से सांसद ओम बिड़ला लोकसभा अध्यक्ष हैं।
— चिपलूण की बेटी,1965 में इंदौर की बहू बनी
महाराष्ट्र के चिपलूण कस्बे में 12 अप्रैल 1943 को एक कोंकणस्थ ब्राह्मण परिवार में जन्मीं सुमित्रा (साठे) 1965 में एडवोकेट जयंत महाजन से ब्याह कर इंदौर आई थीं।इंदौर में ही उन्होंने एमए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।अपनी पढ़ाई के दिनों में ही वे रामायण पर रोचक अंदाज़ में प्रवचन करने वाली इंदौर की मैना ताई गोखले के संपर्क में आईं। जब मैना ताई अपनी वृद्धावस्था के चलते बीमार रहने लगीं तो उनकी जगह प्रवचन करने का काम सुमित्रा महाजन ने संभाल लिया।उनका यह प्रवचन कर्म ही एक तरह से उनके सार्वजनिक जीवन की शुरुआत थी। इसी दौरान वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की महिला शाखा राष्ट्र सेविका समिति और महाराष्ट्रीय महिलाओं के संगठन भगिनी मंडल में सक्रिय हुईं।