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मीठा और अधिक होगा मंहगा,लगेगा पांच फीसदी सेसा

— ईधन तेल पर जीएसटी लगाने की तैयारी

 

भोपाल। आम लोगों के लिए मिठाई के रूप में शक्कर ही काफी होती है क्यों वे मंहगी मिठाई नहीं खरीद सकते है, अब गरीबों की मिठाई पर भी मंहगाई की मार पडने वाली है। शक्कर पर सरकार सेसा लगाने की तैयारी कर रही है। जिससे इसके दाम बढेंगे। वहीं इधन तेल को जीएसटी के दायरे पर में लाया जाएगा जिससे कुछ हद तक इनके दाम नियंत्रित होंगे।

जानकारी के अनुसार 4 मई को GST काउंसिल की 27वीं बैठक है. GST की इस बैठक को काफी अहम माना जा रहा है. इसमें सरकार चीनी पर 5 फीसदी सेस लगा सकती है. इसके अलावा पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच लंबे समय से इसे GST के दायरे में लाने की मांग हो रही है. लेकिन, कई राज्य इसका विरोध कर रहे हैं. क्योंकि, पेट्रोल-डीजल को GST के दायरे में लाने से राज्यों को टैक्स के जरिए होने वाली कमाई पर काफी असर पड़ेगा. लेकिन, यह तय है कि जीएसटी के दायरे में आने से पेट्रोल-डीजल की कीमतें नियंत्रित होंगी और काफी हद तक घट जाएंगी. ऐसे में GST काउंसिल इस पर फैसला ले सकती है.

डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए दुकानदारों को भी कैशबैक जैसे आकर्षक ऑफर का फायदा मिल सकता है. इसके लिए सरकार एक प्रस्ताव पर विचार कर रही है. इस प्रस्ताव में डिजिटल तरीके से पेमेंट करने वाले ग्राहकों को भी अधिकतम खरीद मूल्य यानी एमआरपी पर छूट का फायदा मिल सकता है. यह छूट एक बार में अधिकतम 100 रुपए तक हो सकती है. दूसरी तरफ व्यापारी को भी उसके डिजिटल तरीके से की गई बिक्री पर कैशबैक मिलेगा.

जीएसटी के दायरे में आने वाले करोड़ों कारोबारियों को केंद्र सरकार बड़ा तोहफा दे सकती है. इन कारोबारियों को हर महीने 3 रिटर्न फाइल करने की बाध्यता से मुक्ति मिलने वाली है. इससे कारोबारी अपना बिजनेस आसानी से कर सकेंगे. दरअसल, काउंसिल सिंगल रिटर्न फॉर्म लाने पर विचार कर रही है. इससे कारोबारियों का काम आसान होगा और हर तीन महीने में रिटर्न फाइल करने की दिक्कतों से छूटकारा मिलेगा. वहीं, इससे जीएसटी रेवेन्यू बढ़ने की भी संभावना है.

कारोबारियों के काम आसान बनाने के लिए कई तरह के विकल्प तलाशे जा रहे हैं. टैक्स भरने के नए फॉर्म में टैक्स पेमेंट करने का चालान ऑटो जेनरेट होगा. हालांकि, यह इनपुट टैक्स क्रेडिट के अलावा होगा. इसके अलावा टैक्सपेयर के पास क्रेडिट राशि को एडिट करने का ऑप्शन भी होगा.

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