मंगल से मुलाकात का वैज्ञानिक मुहुर्त 30 जुलाई को, क्या है मुहुर्त जानें
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]सारिका घारू[/mkd_highlight]
आम तौर पर मुहुर्त को धार्मिक कर्मकांडों में इस्तेमाल किया जाता है लेकिन वैज्ञानिकों के लिये यह सप्ताह मंगल से मुलाकात का मुहूर्त लेकर आया है। 30 जुलाई नासा द्वारा आज स्थिति की अनुकूलता के आधार पर भारतीय समय अनुसार शाम 5 बजकर 20 मिनिट के बाद 1050 किग्रा का पर्सविरन्स ( perseverance ) रोवर एटलस राॅकेट की मदद से लोरिडा के केप कानरिवाल एअर फोर्स स्टेशन से लांच किया जाना है जो कि 18 फरवरी 2021 को मंगल की सतह पर लेंड करेगा।
हर दो साल में सूरज की एक परिक्रमा करने वाला मंगल जब सूरज के उस पार होता है तो पृथ्वी से उसकी दूरी 40 करोड़ किमी तक हो जाती है लेकिन जब मंगल ,पृथ्वी और सूरज एक सीध में आ जाते हैं तो यह दूरी घट जाती है। आगामी 14 अक्टूबर को जब मंगल का पृथ्वी से सामना होगा तो यह दूरी 6 करोड़ 20 लाख 70 हजार किमी रह जायेगी। दूरी कम होने की स्थिति में कम ईधन खर्च करके अंतरिक्ष यान को कम समय में भेजा जा सकता है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों द्वारा इस कम दूरी का फायदा देखकर अपसे मार्स मिषन भेजने के वैज्ञानिक मुहुर्त निकाले गये हैं।
15 अगस्त तक इस अभियान को कभी भी भेजा जा सकता है। अगर अगस्त के दूसरे हप्ते तक लांच नहीं हो पाया तो 2022 तक इंतजार करना होगा जब दोबारा पृथ्वी और मंगल एक पंक्ति में होगें। ऐसा होने पर 37 अरब रूपये से अधिक का नुकसान होगा। इसलिये 15 अगस्त से पहले यान का प्रक्षेपण करने का प्रयास को वैज्ञानिक मुहुर्त का नाम दिया है।
नासा के अंतरिक्ष अभियान में पर्सविरन्स लगभग 7 माह की सैर करके मंगल की सतह पर 18 फरवरी 2021 को उतरेगा। वहां मंगल की मिट्टी एकत्र करके उसे 2031 के अंतरिक्ष मिशन के माध्यम से पृथ्वी पर वापस लाया जायेगा। इसकी मदद से मंगल पर जीवन के साक्ष्य को ढ्ंढ़ने में मदद मिलेगी। यह इतिहास में पहली बार मार्स रिटर्न मिषन होने जा रहा है। यह किसी भी ग्रह से पहला वापसी अभियान होगा।
यह अभियान मंगल के एक साल जो कि पृथ्वी के दो सालों के बराबर होता है तक चलेगा जिसमें रोवर लगभग 45 किमी तक का क्षेत्र में चलकर जीवन के साक्ष्यों को तलाश करेगा । यह क्रेटर की जियोलाॅजी का अध्ययन करेगा और दर्जनों सैंपल एकत्र करेगा। रोवर को 14 सालों तक पावर देने के लिये परमाणुशक्ति से लैस किया गया है। इस अभियान पर 2 खरब भारतीय रूपये से अधिक की लागत आई है।
( लेखिका नेशनल अवार्ड प्राप्त विज्ञान प्रसारक है )