सांसदों के हंगामे पर राज्यसभा के सभापति और लोकसभा अध्यक्ष ने की मुलाकात, कहा- दोषी सांसदों के खिलाफ होगी कार्रवाई
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू तथा लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने गुरुवार को हाल में संपन्न हुए संसद के मानसून सत्र के दौरान कुछ सांसदों के व्यवहार पर चिंता जताई। कहा कि ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के एक दिन बाद बिरला ने नायडू से मुलाकात की और दोनों ने सत्र के दौरान संसद में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम की समीक्षा की। ज्ञात हो कि केंद्र सरकार ने हंगामे के लिए कमेटी बना कर दोषी सांसदों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
कहा, ऐसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए
उपराष्ट्रपति सचिवालय ने ट्वीट किया कि दोनों ने कुछ सांसदों के कामकाज में बाधा डालने वाले बर्ताव पर गहन चिंता प्रकट की। ट्वीट में कहा गया, उनका मानना है कि ऐसे नियम विरुद्ध व्यवहार को सहा नहीं जाना चाहिए और उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।इससे पहले संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी, राज्यसभा में नेता सदन पीयूष गोयल और मुख्तार अब्बास नकवी ने यहां नायडू से उनके सरकारी आवास पर मुलाकात की। नायडू ने सदन में अप्रिय स्थिति बनने पर बुधवार को रुंधे गले से विपक्ष के कुछ सदस्यों के कृत्य की तुलना लोकतंत्र के मंदिर को अपवित्र किए जाने से की।
हंगामे को लेकर राज्यसभा की रिपोर्ट
राज्यसभा सचिवालय के सुरक्षा सहायक राकेश नेगी ने संसद सुरक्षा निदेशक को पत्र लिखा है कि सुरक्षा के लिए मार्शल पहले से तैनात थे। किसी बाहरी एजेंसी को नहीं लाया गया था। मार्शलों ने किसी सांसद के साथ बदसलूकी नहीं की। इस दौरान माकपा सांसद एलमारन करीम ने मुझे सुरक्षा घेरा श्रृंखला से बाहर निकालने के लिए मेरी गर्दन पकड़ ली, जिससे क्षण भर के लिए घुटन और दम घुट गया।
11 अगस्त को मुझे राज्यसभा चैंबर के अंदर मार्शल की ड्यूटी करने के लिए आदेश दिया गया था। इस दौरान सांसद एलमारन करीम और अनिल देसाई ने मार्शलों द्वारा सुरक्षा घेरा तोड़ने की कोशिश की। उधर, कांग्रेस की महिला सदस्यों छाया वर्मा और फूलो देवी नेताम ने आरोप लगाया है कि पुरुष मार्शलों ने उस वक्त उनके साथ धक्कामुक्की की, जब वे आसन के निकट पहुंचकर सरकार का विरोध जता रही थीं।