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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने BRO के दो केंद्रों का किया उद्घाटन, बोले- राष्ट्र की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा संगठन

नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में सीमा सड़क संगठन (BRO) मुख्यालय का दौरा किया। इस दौरान उन्होंने ‘सड़क,पुल,हवाई क्षेत्र और सुरंगों के लिए उत्कृष्टता केंद्र’ (Centre of Excellence for Roads, Bridges, Airfield and Tunnels) और ‘सड़क सुरक्षा और जागरूकता के लिए उत्कृष्टता केंद्र’ (Centre of Excellence for Road Safety and Awareness) का उद्घाटन किया। इस दौरान उऩ्होंने कहा कि अपनी स्थापना के समय से ही, बीआरओ दूरदराज के इलाकों में सड़क, सुरंग और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण कर, राष्ट्र की प्रगति में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है।

राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि सबसे महत्वपूर्ण कॉम्पोनेंट है कनेक्टिविटी। कनेक्टिविटी के लिए, भीषण सर्दी, गर्मी, बरसात, बर्फबारी जैसी कठिनाइयों के बीच भी हमारे बीआरओ के कर्मी, बिना थके और थमे लगातार काम करते चले आ रहे हैं। पिछले पांच-सात सालों में, BRO ने और भी उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं। संगठन जितना बड़ा होता है, उसका प्रबंधन भी उतना ही जटिल होता है। ऐसे में आज लॉन्च हो रहे चारों सॉफ़्टवेयर, संगठन के कामों में दक्षता लाएंगे, उनका समय भी बचाएंगे। इनका निर्माण, ‘आत्मनिर्भर भारत’ और ‘डिजिटल इंडिया’ अभियान की भी सफलता का प्रतीक है।

राजनाथ ने आगे कहा कि इसी तरह ‘सड़क सुरक्षा’, और ‘सड़कों, पुलों, सुरंगो, एयर-फील्ड्स’ की अध्ययन पर आधारित, दो-दो ‘सेंटर ऑफ एक्सिलेंस’ का प्रारंभ होना भी बड़े गर्व की बात है। यह दोनों ही सेंटर अपने उद्देश्यों में एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने सड़क दुर्घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि सड़कों पर होने वाली दुर्घटनाएं आज हमारे लिए बड़ी चिंता का कारण हैं। हर व्यक्ति मानो यह मानकर चलता है, कि दुर्घटना तो दूसरों के लिए बनी है; मेरे साथ थोड़े कोई दुर्घटना होगी! और इसलिए वह उतनी सावधानी नहीं रखता है, जितनी रखनी चाहिए।

राजनाथ ने कहा कि बड़े आश्चर्य का विषय है कि हमारे देश में दुनिया के कुल 3% से भी कम वाहन हैं, पर दुर्घटनाएं 11% के करीब होती हैं। हर साल लगभग साढे चार-पांच लाख दुर्घटनाएं, और डेढ़ लाख दुर्भाग्यपूर्ण मौतें। यह किसी साइलेंट पैंडेमिक से कम हैं क्या ? इन सब से निज़ात पाने के लिए सरकार ने जो भी कदम उठाए हैं, जैसे ‘राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति’ को मंजूरी देना, ‘मोटर व्हीकल एक्ट 2020’ लाना, नेशनल हाइवे पर ब्लैक स्पॉट की पहचान करना आदि, उनमें भी यह सेंटर अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।

रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात है लोगों में सड़क सुरक्षा के प्रति जागरूकता लाना; जिसके प्रति बीआरओ आज से नहीं, बहुत लंबे समय से जागरूक है। बीआरओ की सड़कें जहां जहां भी बनी हैं, वह खुद अपने आप में आकर्षण का विषय होती हैं। बीआरओ की सड़कों पर चलने से पहले, रोड सेफ्टी के नाम पर अक्सर लोगों को एक स्लोगन का पता होता है, ‘सावधानी हटी, दुर्घटना घटी।’ रोडवेज की बसों में यह लाइन जब पहली बार कोई बच्चा देखता है, तो उसे समझने के लिए भी दिमागी कसरत करनी पड़ जाती है।

राजनाथ ने कहा कि राहें भी बनाता है, और राहें चलना भी सिखाता है। रोड सेफ्टी एंड अवेयरनेस पर आधारित यह सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, हमेशा नए-नए तरीकों से लोगों को रोड सेफ्टी के प्रति जागरूक करेगा, उनकी सुरक्षा करेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। पिछले 5-7 वर्षों के दौरान, बीआरओ के बजट में 3 से 4 गुना की बढ़ोत्तरी होना कोई मामूली बात नहीं है। इस अवसर पर मैं, उन सभी कर्मयोगियों को भी श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने देश की सेवा में अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए अपना समस्त दांव पर लगा दिया।

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