बस पुल से नीचे गिरने से सात की मौत, बीस घायल, अस्पताल में नहीं मिले डॉक्टर
मध्यप्रदेश। भोपाल से छतरपुर जा रही एक यात्री बस बुधवार-गुरुवार की दरमियानी रात डेढ़ बजे रायसेन दरगाह के नजीदीक बने रीछन नदी के पुल में अनियंत्रित होकर नीचे गिर गई। जिससे उसमें सवार 7 यात्रियों की मौत हो गई,जबकि 20 से अधिक गंभीर रूप से घायल हो गए। हादसे की सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी मौके पर पहुंचे और घायलों को रायसेन जिला अस्पताल में भर्ती कराया। उस समय अस्पताल में सिर्फ एक डॉक्टर था,शेष डॉक्टर अपने निवास में ताला लगाकर भोपाल अपने घर पर सो रहे थे। जिसकी वजह से घायल मरीजों को रायसेन अस्पताल से भोपाल रेफर किया गया।
जानकारी के अनुसार बस हादसे में घायल हुए बीस अधिक यात्रियों को रायसेन अस्पताल लाया गया।पुलिस अधिकारी कोशिश करते रहे कि घायलों को समय पर इलाज मिल जाएं,लेकिन रात को अस्पताल की दशा ही कुछ ओर देखाई दी। यहां सिर्फ एक डॉक्टर मौजूद था। एक साथ अस्पताल में बीस से अधिक मरीज आने से एक डॉक्टर सभी को समय पर इलाज नहीं दे सकता था। इसलिए अन्य डॉक्टरों को कॉल पर बुलाने को कहा गया। जब कोई भी डॉक्टर बहुत देर तक अस्पताल में नहीं आया तो पुलिसकर्मी,स्थानिय नेता और पत्रकार अस्पताल परिसर में बने डॉक्टरों के निवास पर पहुंच गए। इन मकानों पर उन्हें ताले लटके मिले। आसपास के लोगों से पूछा गया तो पता चला कि हर रोज लगभग सभी डॉक्टरों शाम को ही मुख्यालय पर न रहकर भोपाल अपने घर चले जाते है। रात को जिला अस्पताल रामभरोसे रहता है। इस बात के अजागर होने के बात देर रात घायलों को भोपाल रैफर किया गया। जहां उनका उपचार किया जा रहा है। कई घायलों की स्थिति बिगड गई है और वो जीवन मौत के बीच संघर्ष कर रहे है।
मरीजों द्वारा मामूली बात कह देने पर सरकार अस्पताल के डॉक्टर संगठित होकर कमा बंद हडताल देते है। मरीज के परिजनों को मारपीट के आरोप में जेल तक की यात्रा करना पडती है। इस तरह के कई मामले है। हद तो तब होती जब कोई मरीज का परिजन या सथनिय नेता मरीज को समय या सही इलाज की बात डॉक्टर से कर लेता। उस समय डॉक्टर हंगामा कर देते है और मरीज के परिजन या नेताओं पर पुलिस दवाब में आकर प्रकरण दर्ज करती है।
डॉक्टर पर कार्यवाही की मांग
रायसेन के लोगों ने रात को ही गायब डॉक्टरों के विरूद्व मोर्चा खोल दिया था। लोगो का कहना है कि डॉक्टरों के खिलाफ कडी कार्रवाही होना चाहिए। इनकी लपरवाही की वजह से कई लोगों की जान खतरे में है। लोगों को समय पर इलाज मिलना उनका मौलिक अधिकार है।