मिन्नतों के बाद नहीं मिला सरकारी अस्पताल में इलाज, मरीज की मौत
छत्तीसगढ़ के सबसे बड़े आंबेडकर अस्पताल में सोमवार को फिर मानवता शर्मसार हुई है। बिलासपुर से आंबेडकर अस्पताल में कीमोथेरेपी कराने आए मरीज को आंबेडकर अस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर डॉक्टरों ने दो बॉटल ग्लूकोज चढ़ाकर छुट्टी कर दी। लेकिन कुछ देर बाद मरीज की हालत बिगड़ने लगी तो परिजन कीमोथेरेपी कराने के लिए टोकन लेकर वार्ड के अंदर जाने लगे। संजीवनी कार्ड न होने की वजह से गार्ड ने मरीज को अंदर नहीं जाने दिया। ह्वील चेयर पर उपचार के इंतजार में बैठे मरीज की मौत हो गई। मृतक के परिजन ने आरोप लगाया है कि अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही के चलते मौत हुई है।
वहीं अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि मरीज क्रिटिकल कंडीशन में अस्पताल लाया गया था। उपचार के दौरान उसकी मौत हुई है। मस्तूरी हिर्री बिलासपुर निवासी हिमांशु साहू ने नईदुनिया को बताया कि उसके दादा भोंदल प्रसाद साहू कैंसर की बीमारी से पीड़ित थे। कैंसर प्रथम स्टेज पर था। बीती रात अचानक उनकी तवीयत खराब हो गई। उपचार के लिए उन्हें आंबेडकर अस्पताल लेकर आए थे।
उन्होंने बताया कि सुबह पांच बजे आंबेडकर पहुंचे थे। उपचार के लिए मरीज को एमरजेंसी वार्ड में दिखाया गया। एमरजेंसी वार्ड के डॉक्टरों ने उन्हें जनरल वार्ड में भेजकर 2 बॉटल ग्लूकोज लगा दिया। इसके बाद मरीज की हालत बिगड़ गई। परिजन ने मरीज को सोमवार को सुबह कीमोथेरेपी करवाने के लिए टोकन लिया और अंदर जाने लगे तो गार्ड ने संजीवनी कार्ड न होने की बात कहकर उनको वार्ड के अंदर नहीं जाने दिया।
संजीवनी कार्ड न होने से नहीं घुसने दिया अंदर
हिमांशु साहू ने अस्पताल प्रबंधन के ऊपर आरोप लगाया है कि मरीज के पास संजीवनी कार्ड न होने की वजह से उन्हें वार्ड के अंदर दाखिल नहीं किया गया, जबकि सरकारी अस्पताल में भर्ती होने के लिए मरीज के पास संजीवनी अथवा स्मार्ट कार्ड का होना आवश्यक नहीं है। उसके बाद भी मरीज का उपचार नहीं किया, जिससे उसकी सोमवार की सुबह साढ़े 11 बजे मौत हो गई।
दूसरी बार लाए थे उपचार के लिए
परिजनों ने बताया कि कैंसर प्रथम स्टेज में था। एक सप्ताह पहले ही अस्पताल में लाकर दिखाया गया था। डॉक्टरों ने पहली बार किमो लगा दिया था। दूसरी बार उनको किमो लगाना था। डॉक्टरों ने मरीज को मंगलवार को बुलाया था, लेकिन बीती रात मरीज की हालत अचानक बिगड़ गई, जिसकी वजह से बीती रात को ही मरीज को अस्पताल लाना पड़ा। परिजन का कहना है कि हमारे पास अस्पताल का टोकन क्रमांक 14 था, टोकन होने के बाद भी गार्ड ने अंदर नहीं जाने दिया जिससे मौत हो गई।
मरीज का लंबे समय से उपचार चल रहा था। मरीज को गंभीर स्थिति में अस्पताल लाया गया था। परिजन ने मरीज को फोर्थ स्टेज में पहुंचने के बाद मरीज की उपचार के दौरान मौत हुई है।