छत्तीसगढ़ के ‘ नीरव मोदी ‘ ने भी फंसाए बैंकों के 5500 करोड़
रायपुर। पीएनबी और रोटोमैक घोटाले के बाद पूरे देश में बैंकिंग प्रणाली पर सवाल खड़ा हो गया है। छत्तीसगढ़ में भी हड़कंप मचा हुआ है, क्योंकि यहां के बैंकों के 5500 करोड़ से अधिक रुपए कर्जदारों के पास फंसे हैं, उनसे वसूली नहीं हो पाई है। मतलब साफ है, नीरव मोदी की तर्ज पर बैंकों से रकम ली और चुकायी ही नहीं। बैंकिंग शब्दावली में इसे नॉन परफार्मिंग एसेट यानी एनपीए कहा जाता है।
इन दिनों बैंकों में औद्योगिक घरानों, रियल इस्टेट और अन्य कारोबार से जुड़े बड़े डिफाल्टरों की लिस्ट तैयार की जा रही है। इनमें से बहुत से डिफाल्टरों ने तो अपने आप को दिवालिया घोषित कर दिया है। उनके एसेट की नीलामी कर कर्ज वसूलने में अभी तक बैंक नाकाम हैं।
बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि बैंकों के बढ़ते एनपीए से आरबीआई सकते में है, वह रोजाना बैंकों को कुछ न कुछ फरमान जारी कर रहा है। हर फरमान में यह जरूर कहा जा रहा है कि बैंक लोन देने से ज्यादा कर्ज वसूलने पर ध्यान दें, कर्जदारों को आसानी से न छोड़ें। रिजर्व बैंक के निर्देशों पर उच्चाधिकारी लगातार बैठक कर रहे हैं, जिनमें केवल कर्ज वसूलने के तरीकों पर ही चर्चा की जा रही है। इसके बाद भी प्रक्रिया नोटिस भेजने और संपत्ति बेचने की कोशिश तक ही सीमित है।
इनका कर्ज ज्यादा
प्रदेश में स्टील और पावर सेक्टर की कंपनियों के साथ ही रियल इस्टेट से जुड़ी कंपनियों का कर्ज ज्यादा है। बताया जा रहा है कि इनके बाद ऑटोमोबाइल और होटलिंग क्षेत्र से जुड़े कुछ बड़े कारोबारियों पर अधिक कर्ज है। इनमें से कुछ ने अपने आप को दिवालिया घोषित कर दिया है।
बनाई जा रही लिस्ट
कर्ज लेकर उसे भूल जाने वाली कंपनियों की नई लिस्ट तैयार हो रही है, उन पर जल्द कार्रवाई होगी। आरबीआई ने बैंकों से हर हफ्ते बड़े डिफाल्टरों की सूची मांगी है। कहा जा रहा है कि अब किसी भी डिफाल्टर को अब बख्शा नहीं जाएगा। एनपीए घोषित होने के बाद कर्जदार को चुकाने के लिए एक समयसीमा तक ही मोहलत दी जाती है। फिर संपत्ति सील कर बेचने की प्रक्रिया शुरु की जाती है।
ऐसे बढ़ता है एनपीए का दायरा
बैंकिंग सूत्रों का कहना है कि अगर कोई बड़ी कंपनी 2000 करोड़ का कर्ज लेती है तो वह केवल एक बैंक से नहीं लेती। एक मुख्य बैंक के साथ दूसरे कई बैंकों से कर्ज लेती है। इस तरह एनपीए का दायरा सभी बैंकों में बंट जाता है।