सरकार के आर्थिक आंकड़ों पर कम हुआ भरोसा, स्वतंत्र संस्था करे आकलन: राजन
केन्द्रीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि देश में सरकार द्वारा दिए जाने वाले आर्थिक आंकड़ों पर गंभीर सवाल उठने से उनकी साख गिरी है. लिहाजा जरूरत है कि अब आर्थिक आंकड़ों को एकत्र करने और तैयार करने का काम किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराया जाना चाहिए.
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम से इतर दावोस में इंडिया टुडे समूह को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में राजन ने कहा कि देश में जीडीपी, रोजगार समेत कई आर्थिक आंकड़ों के संदिग्ध होने का मुद्दा उठा है. इन आंकड़ों पर सवाल उठाने वाले कुछ लोगों की विश्वसनीयता पर शक नहीं किया जा सकता है. लिहाजा ये सरकार और देश दोनों के लिए गंभीर समस्या है.
इस समस्या के निदान के तौर पर राजन ने कहा कि जरूरत है कि देश में आर्थिक आंकड़ों को एकत्र करने और पेश करने का काम किसी स्वतंत्र एजेंसी को दिया जाए जिससे आर्थिक आकलन सही हो और सरकार की नीतियों को सही आंकड़ों के आधार पर तैयार किया जाए. राजन ने इशारा किया कि राजनीतिक कारणों से आर्थिक आंकड़ों में फेरबदल करने से वास्तविक आकलन की समस्या पैदा हो जाती है और इससे बचने की जरूरत है.
गौरतलब है कि बतौर रिजर्व बैंक गवर्नर भी 2016 में रघुराम राजन ने देश की जीडीपी आंकड़ों पर सवाल उठाया था. राजन ने यह सवाल तब उठाया जब मोदी सरकार ने 2015 के अंत में जीडीपी आकलन करने के लिए फॉर्मूले में परिवर्तन हुए आकलन वर्ष 2004-05 से बदलकर 2011-12 करने का फैसला लिया था.
राजन ने इस बदलाव पर आपत्ति दर्ज करते हुए कहा था कि रिजर्व बैंक अपनी नीतियों में जीडीपी आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं कर सकती क्योंकि इस तरह जीडीपी फॉर्मूले को बदलने से एक झटके में 2015 की जीडीपी 5.5 फीसदी से बढ़कर 7.3 फीसदी हो गई. राजन ने चेताया था कि इस तरह से राजनीतिक लाभ के लिए आर्थिक आंकड़ों से छेड़छाड़ अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है.
गौरतलब है कि रघुराम राजन वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम के सम्मेलन में शरीक होने के लिए दावोस में है. राजन ने यह बात दावोस में इंडिया टुडे को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कही. वैश्विक स्तर पर मंदी का सटीक आंकलन करने के बाद पूर्व की यूपीए सरकार ने राजन को केन्द्रीय रिजर्व बैंक की कमान सौंपी थी. लेकिन 2016 में उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद एनडीए की मोदी सरकार ने राजन को नए कार्यकाल की पेशकश नहीं की जिससे वह अमेरिका जाने के लिए मजबूर हो गए थे.
आर्थिक जानकारों का मानना है कि राजन की दो टूक प्रतिक्रियाओं के चलते मोदी सरकार से उनका तालमेल ठीक नहीं था. राजन के कार्यकाल के बाद मोदी सरकार ने रिजर्व बैंक में डिप्टी गवर्नर रहे उर्जित पटेल को नया गवर्नर नियुक्त किया लेकिन सरकार से विवादों को चलते पटेल ने कार्यकाल पूरा किए बगैर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था. लगातार दो आरबीआई गवर्नर के साथ विवाद में आने के बाद केन्द्र सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अधिकारी और पूर्व वित्त सचिव शक्तिकांता दास को आरबीआई का नया गवर्नर नियुक्त किया.