वायुसेना चीफ धनोआ बोले- हमारे पास हथियारों की कमी, राफेल से मिलेगी मजबूती
राफेल डील पर कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष पिछले कुछ समय से केंद्र की मोदी सरकार को घेरने में लगा है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री निर्मला सीतारमण पर देश से झूठ बोलने और डील में भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है. अब इस डील पर पहली बार भारतीय वायुसेना का आधिकारिक बयान आया है.
राफेल डील विवाद में वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल बीएस धनोआ ने मोदी सरकार का समर्थन किया है. केंद्र सरकार आज हमें राफेल लड़ाकू विमान मुहैया करवा रही है. इन विमानों के जरिए हम आज की मुश्किलों का सामना कर पाएंगे.
बुधवार को राजधानी दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि आज दुनिया में बहुत कम ऐसे देश हैं जो हमारी तरह की दिक्कतों का सामना कर रहे हैं. हमारे दोनों तरफ परमाणु शक्ति वाले देश हैं. प्रमुख ने कहा कि आज हमारे पास कुल 31 दस्ते हैं, लेकिन 42 दस्तों की जरूरत होती है. अगर 42 दस्तें भी होते हैं तो भी दोनों तरफ की जंग लड़ना आसान नहीं होगा.
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि आज हमारे पास कई तरह के हथियारों की कमी है. इन मुश्किलों को देखा जाए तो हम अपने पड़ोसियों के आगे मुश्किल से ही खड़े हो पाएंगे.
दरअसल, डील में कोई भ्रष्टाचार ना हो सके इसको देखते हुए केंद्र की मोदी सरकार ने इस डील के समझौते के लिए कुछ एयरफोर्स के अधिकारियों को जिम्मेदारी दी थी.
वायुसेना को राफेल का इंतजार!
आपको बता दें कि इससे पहले भी उपवायुसेना प्रमुख, एयर मार्शल एस बी देव ने भी राफेल डील अपनी राय रखी थी. उनका कहना था कि राफेल सौदे की आलोचना करने वाले लोगों को निर्धारित मानदंडों और खरीद प्रक्रिया को समझना चाहिए. राफेल एक बेहतरीन विमान है. यह काफी सक्षम विमान है और वायुसेना इसे उड़ाने की प्रतीक्षा कर रही है.
उन्होंने कहा कि इन विमानों की आपूर्ति सितंबर 2019 से शुरू होने वाली है, और वायुसेना में इसके शामिल होने से भारत को इस क्षेत्र में अपने प्रतिद्वंदियों पर अभूतपूर्व बढ़त मिलेगी.
क्या हैं कांग्रेस के आरोप?
कांग्रेस का दावा है कि यूपीए सरकार ने जिस विमान की डील की थी, उसी विमान को मोदी सरकार 3 गुना कीमत में खरीद रही है. कांग्रेस का आरोप है कि इस नई डील में किसी भी तरह की टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर की बात नहीं हुई है. पूर्व रक्षा मंत्री एके एंटनी के मुताबिक UPA सरकार की डील के अनुसार, 126 में से 18 एयरक्राफ्ट ही फ्रांस में बनने थे बाकी सभी HAL के द्वारा भारत में बनने थे.