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प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को ब्लाकवार लगेंगे शिविर

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को साल 2016 में लॉन्च किया गया था, जिसमें फसल के साथ-साथ बुवाई के पूर्व और फसल कटाई के बाद के नुकसान को वहन किया जाता है। साथ ही इस योजना में खरीफ में अधिकतम 2 फीसदी, रबी में 1.5 फीसदी और कमर्शियल व बागवानी फसलों के लिए मात्र 5 फीसदी प्रीमियम किसानों से लिया जाता है। जबकि शेष प्रीमियम केंद्र और राज्य सरकारें वहन करती हैं। वहीं, किसान अपनी उपज का औसतन 150 फीसदी तक फसल बीमा करा सकते हैं।प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर सरकार का दावा है कि इससे किसानों को काफी राहत मिली है, लेकिन इसके साथ ही सच का एक दूसरा पहलू भी है। वह है फसल बीमा योजना का बीमा कंपनियों को जमकर लाभ पहुंचाना। सरकार की इस योजना से बीमा कंपनियों को पिछले साल बतौर प्रीमियम 22 हजार 180 करोड़ रुपये मिले। जबकि किसानों को 12 हजार 949 करोड़ की राशि ही क्षतिपूर्ति के तौर पर मिल पाई।

हाल ही में कृषि मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक कई राज्यों में चुकाए गए प्रीमियम से कई गुना ज्यादा भुगतान का दावा  किया गया है। केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह का कहना है कि फसल बीमा योजना के तहत कई राज्यों में किसानों को चुकाए गए प्रीमियम से काफी ज्यादा क्षतिपूर्ति का भुगतान किया गया है। यह फसल बीमा योजना की सफलता को दर्शाता है।

वहीं सरकार के दावों के उलट यह भी खबरें आईं हैं कि किसानों को उनकी फसलों के नुकसान की भरपाई के दावों में देरी हो रही है या बेहद कम मुआवजा दिया जा रहा है। यहां तक कि तमिलनाडु के एक किसान को तो बतौर मुआवजा मात्र 7 रुपये की राशि ही दी गई, वहीं छत्तीसगढ़ के रायगढ़ के किसानों को केवल 5 से 18 रुपये ही मुआवजा राशि का भुगतान किया गया। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए जुलाई माह के पहले सप्ताह तक अभियान चलाया जाएगा। अभियान में हर ब्लाक में कम से कम चार बार शिविरों का आयोजन कर किसानों की फसल का बीमा किया जाएगा। मामूली प्रीमियम किसानों को प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद होने पर बड़ा मुआवजा मिलेगा। शिविरों के माध्यम से बिना क्रेडिट कार्ड वाले किसानों को शत-प्रतिशत योजना से जोड़ने की कवायद की जाएगी।
किसान की मेहनत के बावजूद कई बार प्राकृतिक आपदा के कारण उसकी फसल बर्बाद हो जाती है। जिससे उसे काफी नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों को ऐसी स्थिति में आर्थिक मदद मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना संचालित की जा रही है। योजना के तहत किसानों से एक मामूली प्रीमियम पर उनकी फसल को बीमा हो जाता है। इस बार सरकार ने इसकी जिम्मेदारी टाटा-एआईजी कंपनी को दी है। क्रेडिट कार्ड वाले किसानों का प्रीमियम उनके खाते से स्वत: कट जाता है लेकिन, ऐसे हजारों किसान हैं, जिनके पास किसान क्रेडिट कार्ड नहीं है। इन किसानों की फसल पर प्राकृतिक आपदा की मार पड़ने पर राहत पहुंचाने के लिए बीमा किया जाएगा। ऐसे किसान जिन पर क्रेडिट कार्ड नहीं उनकी फसल को बीमे से सुरक्षित करने के लिए जिले में 4 जुलाई तक अभियान चलाकर शिविर लगाए जाएंगे। योजना के तहत उड़द, धान और बाजरा की फसल का बीमा किया जाएगा।

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