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कृपया कुछ समय बाद प्रयास करें……

 

 

[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]शेलैश तिवारी[/mkd_highlight]

 

 

कोरोना की तबाही.… मंजर भयावह… हो जाए तो शरीर की तबाही…. न होने पर मानसिक परेशानी…. और आर्थिक कंगाली….। क्या- क्या दंश इस कोरोना ने नही दिए…. भले आदमी को भी चार आदमियों में उठने बैठने लायक नही छोड़ा….. अपने प्रिय के आने पर जो खुशी मिलती थी…. अब उस को डर में बदल दिया…. जिसके घर जाओ वही शक़ की नजर से देखने लगा….। बार बार हाथ धोने की तो मानों लत ही लगा दी…. वो भी ऐसी कि हाथों का रंग…..उजला हो गया…….. जो सब्जी आकर फ्रिज की शोभा बढ़ाया करती थी….. अब वह पहले आंगन में जाकर स्नान करती है… घंटों पानी में डूबकर…। कचौडी, समोसे, जलेबी, पोहा का छीन लिया दोना…… तेरो नाश मिट जाए कोरोना…। बीबीयों को तो इतना डरा दिया कि…. बाहर कुछ न खाने की सौ सौ हिदायतें देकर… दुकान जाने देती है….। जो कुछ खाना है मुझे फोन करना… गरमागरम बना कर भेज दूँगी….। पानी पूरी वाला आवाज लगा लगा के थक जाता है…. कोई ज्यादा नोटिस ही नहीं लेता….। घर पहुंचने पर बाहर ही स्नान करो….. जैसे अंत्येष्टि से आए हों…..मजदूरों के पांव में छाले पड़कर फूटते रहे…. मगर हुकमरानों के कान पर जूं नहीं रेंगी…..। गर्भवती पैदल चलते चलते प्रसूता हो गई….. फिर पैदल चलकर अपने गाँव पहुंची… नौनिहाल को काँख में दबाये…। न 108 के पते…. न जननी एक्स्प्रेस आई…। श्रमिक पर तरस तो आया….ट्रेन चलाई गई….किराया लेकर….लेकिन रास्ता भटक गई…..इनमें भी कईयों ने घर पहुंचने की आस में…..सांस लेना ही छोड़ दिया……। मिडिल क्लास की हालत उस मुसाफिर की तरह…. कि …..

पीछे बंधे है हाथ और शर्त है सफर
किससे कहे कि पाँव के कांटे निकाल दे..

इसको तो बिजली का बिल भी पूरा चुकाना है… और दीगर टैक्स भी… परिवार भी चलाना है…. और हाथ किसी के आगे फैलाना नही…. ई एम आई का बोझ भी उसके कमजोर कंधों पर…. वो भी नौकरी खो जाने और छोटी दुकान में … पर्याप्त आमदनी नही होने की स्थिति में….। क्या करें कुछ करने को बाकी नहीं….. कार्पोरेट और सूची में शामिल गरीबी रेखा वाले …. के लिए पैकेज…. इनके लिए पिसना… और पिसना…।
कड़क लॉक डाउन … जब देश में साढ़े पांच सौ संक्रमित….. अब ढील जब रोज के दस हजार पीड़ित….. हो रहे कोरोना से….।
इस भयावह दृश्य को बदलने के प्रयास… प्राथमिकता होना चाहिए…. लेकिन मेरा भारत महान….. ऐसा नहीं होता यहाँ…. देश के ह्रदय प्रदेश में सरकार गिराकर अपनी बनाई जाती है….. कर्नाटक के नाटक का पुनः मंचन होता रहा…. कोरोना पैर पसारता रहा…. गुजरात के राज्यसभा चुनाव के लिए….. विपक्षी दल में तोड़ फोड़ जारी रही….. आपदा प्रबंधन समिति पर अधिकार रखने वाले गृह मंत्री…. कोरोना काल में खामोश रहते हैं…. गंभीर बीमारी से ग्रसित होने की अफवाह का खंडन. … सामने आकर नहीं विज्ञप्ति से किया जाता है….. लेकिन बिहार की डिजिटल रैली को संबोधित करते हैं…. ये कहकर कि…. यह राजनैतिक नहीं है… लेकिन लब्बो लुआब राजनीति की चाशनी से सराबोर….। वह भी भारी भरकम खर्च कर के….. ये राशि मजदूरों की घर वापसी पर ही लग जाती….शायद आफत में राहत का पुनीत कार्य होता….। ऐसी ही रैली अन्य प्रदेशों में आयोजित होती है….. पश्चिम बंगाल की रैली में वहाँ की सरकार को निशाने पर लिया जाता है…. मानों चुनावी बिगुल फूंका गया हो…..।
देश के हॉट स्पॉट में शामिल दिल्ली…. में वहाँ के नव नियुक्त प्रदेश अध्यक्ष…. घर घर जाकर सरकार की एक साल की उपलब्धियां गिना रहे हैं…. बेहतर होता कि कोरोना से भटकते पीड़ितों को इलाज के लिए किसी अस्पताल में दाखिले की पहल करते….।
ये सब घटनाएं कहती हैं….. ठीक वैसे ही जैसे मोबाइल कहता है…… जिस नंबर को आप डायल कर रहे हैं…… वो अभी व्यस्त है…. कृपया कुछ समय बाद प्रयास करें……।

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