डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने की दिशा में धीरे-धीरे आम सहमति बनाने के प्रयास
पेट्रोल की कीमत करीब पांच साल के उच्चतम स्तर पर पहुंचने और डीजल की कीमत सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंचने के बावजूद इन्हें वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली में शामिल करने के तत्काल आसार नहीं हैं।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस पर राज्यों की सहमति बनाना टेढ़ी खीर है, इसलिए फिलहाल केंद्र सरकार की तरफ से इस तरह का कोई प्रस्ताव तैयार नहीं किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इसी महीने की शुरुआत में केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि डीजल-पेट्रोल को जीएसटी में जल्द शामिल कराने के लिए केंद्र कोशिश करेगा।
जीएसटी के बारे में फैसले लेने के लिए अधिकृत सर्वोच्च संस्था जीएसटी परिषद से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने अमर उजाला को बताया फिलहाल केंद्र सरकार की तरफ से डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में शामिल करने के लिए कोई प्रस्ताव तैयार नहीं किया जा रहा है।
उनका कहना है कि परिषद की पिछली बैठक में जब प्राकृतिक गैस को जीएसटी के दायरे में लाने की बात शुरू हुई, तो कई राज्यों ने इस पर कड़ा प्रतिरोध जताया था। ऐसा तब हुआ, जबप्राकृतिक गैस की उपलब्धता कहीं-कहीं ही है और राज्यों को इससे कोई खास आमदनी नहीं होती। पेट्रोल-डीजल तो राज्यों की आमदनी में मुख्य भूमिका निभाती है, ऐसे में इस पर सहमति बनाना बेहद मुश्किल होगा।
धर्मेंद्र प्रधान ने इसी महीने के पहले हफ्ते में बताया था कि डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने की दिशा में धीरे-धीरे आम सहमति बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि राज्यों को कल्याण के सौ काम करने पड़ते हैं, इसलिए उन्हें राजस्व का कोई बढ़िया स्रोत तो चाहिए ही। लेकिन जब ये ईंधन जीएसटी में शामिल हो जाएंगे, तो जनता को राहत मिलेगी।
प्रधान का कहना है कि घरेलू बाजार में पेट्रोल और डीजल की कीमतें तय करने में केंद्र सरकार की कोई भूमिका नहीं है। पिछले साल जून से ही तेल विपणन करने वाली सरकारी कंपनियां इसे दैनिक आधार पर तय करती हैं।
घरेलू बाजार में दोनों ईंधनों की कीमतें तय करने में अंतर्राष्ट्रीय बाजार की कीमतों को आधार बनाया जा रहा है। उनका कहना है कि पिछले कुछ दिनों से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल का दाम 70 डॉलर के ऊपर चला गया है, इसलिए कीमतें बढ़ रही हैं। पड़ोसी देशों में सस्ता है पेट्रोल-डीजल
सरकारी संगठन पीपीएसी के मुताबिक, एक अप्रैल, 2018 को पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल के प्रति लीटर दाम क्रमश: 47.04 रुपये और 54.33 रुपये, श्रीलंका में 48.94 एवं 39.74 रुपये, नेपाल में 64.78 और 52.20 रुपये और बंगलादेश में 68.08 और 51.45 रुपये थे।
यह है कीमतें बढ़ने का गणित
केन्द्र सरकार पेट्रोल पर प्रति लीटर 4.48 रुपये बेसिक एक्साइज ड्यूटी के रूप में, सात रुपये स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी के रूप में और आठ रुपये सेस के रूप में वसूलती है। इसी तरह डीजल पर प्रति लीटर 6.33 रुपये बेसिक एक्साइज ड्यूटी, एक रुपया स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी और आठ रुपये सेस के रूप में वसूलती है। जहां तक राज्यों की बात है, तो वे इन ईंधनों पर छह फीसदी से 39.95 फीसदी तक बिक्री कर वसूलती हैं। पेट्रोल पर सबसे कम बिक्री कर अंडमान एवं निकोबार में छह फीसदी का है, जबकि सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 39.95 फीसदी का है।