मोहंती को सीएस बनाते ही लोग उँगली ना उठाएँ इसलिए सीएम ने माँगी है महाधिवक्ता की राय
– 31 दिसं को रिटायर होंगे बीपी सिंह, अगले दिन एसआर मोहंती ग्रहण कर सकते हैं पदभार
(कीर्ति राणा)
मध्यप्रदेश के वर्तमान मुख्य सचिव बसंत प्रताप सिंह 31 दिसंबर को रिटायर हो जाएंगे, एक जनवरी को सुधिरंजन मोहंती सीएस के रूप में काम संभाल सकते हैं।मुख्यमंत्री कमलनाथ ने उन्हें सीएस पद पर नियुक्त के आदेश तो मंगलवार की शाम को ही कर दिए थे। इसी आधार पर मोहंती को सीएस बनाने की खबर भी वायरल हो गई थी लेकिन सीएम सचिवालय से मोहंती के आदेश वाली फाइल राज्य के नवनियुक्त महाधिवक्ता राजेंद्र तिवारी की लीगल ओपिनियन लेने के लिए भेज दी गई है। यह सतकर्ता इसलिए बरती गई है कि मोहंती को इस पद पर पदस्थ किए जाने पर विरोधी दल सहित अन्य लोग सरकार के इस फैसले पर अंगुली न उठाने लगें।
मतगणना के परिणाम में कांग्रेस को बढ़त का आंकड़ा सामने आने के बाद से ही आयएएस लॉबी से लेकर सरकार को चलाने वाले अधिकारियों में मान लिया गया था कि अगले सीएस के रूप में कमलनाथ की पहली पसंद एसआर मोहंती हो सकते हैं, वैसे इस पद के लिए आधा दर्जन से अधिक नाम चर्चा में थे लेकिन सीनियारिटी के स्तर पर मोहंती का दावा मजबूत था।यही नहीं 28 नवंबर को मतदान के बाद से 11दिसंबर को मतगणना वाले दिन के बीच में जो अंतराल रहा इस अवधि में कमलनाथ खेमे ने जिन आयएएस अधिकारियों से संभावित चुनाव परिणाम को लेकर जो फीडबेक लिया और राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने का आमंत्रण मिलने के तत्काल बाद कमलनाथ ने किसानों की कर्ज माफी का का वादा पूरा करने के लिए जिन आयएएस अधिकारियों को विभिन्न राज्यों में कर्ज माफी के मॉडल का अध्ययन कर मप्र का लोन माफी मॉडल तैयार करने का दायित्व सौंपा था उस टीम का नेतृत्व एसआर मोहंती को दे रखा था।
सीएस के रूप में मोहंती के नाम की घोषणा में कमलनाथ जल्दबाजी करने से बच रहे हैं तो उसका मुख्य कारण है एसआर मोहंती के खिलाफ कथित लोन घोटाले संबंधी इओडब्ल्यू की जाँच के तहत कोर्ट में चल रहा मामला। हांलाकि मोहंती राज्य सरकार को हायकोर्ट द्वारा दिए निर्देश एवं फैसले सहित अन्य दस्तावेज प्रस्तुत कर चुके हैं लेकिन सरकार नहीं चाहती कि उनकी नियुक्ति को लेकर प्रतिपक्ष को कोई मौका मिले इसलिए महाधिवक्ता से राय मांगने का रास्ता निकाला गया है। दूसरे यदि सरकार आज उनका नियुक्त आदेश जारी कर भी दे तो उन्हें ज्वाइन तो एक जनवरी 19 को ही करना होगा। वर्तमान सीएस बसंत प्रताप सिंह तो जुलाई 18 में ही सेवानिवृत हो रहे थे विधानसभा चुनाव के चलते सरकार ने उन्हें छह महीने का एक्सटेंशन दिया था। अब यह वर्तमान सरकार पर निर्भर करता है कि शिवराज। सरकार की तरह वह सेवानिवृत होने वाले मुख्य सचिव के लिए कोई पद सृजित करती है या नहीं।
मोहंती के साथ अन्याय से खुश नहीं आयएएस
शिवराज सरकार में मोहंती को पीएस, एसीएस रहते हेल्थ, प्रायमरी एजुकेशन और रिएन्यूबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) जैसे विभाग तो दिए लेकिन उनकी ऊर्जा का उपयोग सरकार नहीं कर पाई। ग्लोबल डेवलपमेंट नेटवर्क अवार्ड 2000 के वक्त नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए नवाचार की विश्वस्तर (वर्ल्ड बैंक) पर सराहना हो चुकी है।शिवराज के सलाहकारों में से एक वरिष्ठ आयएएस मानते हैं कि 1982 बैच के होने के बावजूद उनकी सीनियारिटी को नजरअंदाज कर सरकार ने 1984 बैच के आयएएस को सीएस बनाया तो इसकी वजह कथित लोन घोटाले से ज्यादा हमारी (आयएएस) लॉबी में चलने वाली ग्रुप पोलिटिक्स अधिक थी, सीएम को जैसा उनके (मोहंती के) विरोधी अधिकारियों ने ब्रीफ़ किया वैसा उन्होंने बिना क्रॉस किए डिसिजन ले लिया। इसमें भी एक कारण यह रहा कि तत्कालीन सीएस विजयसिंह ने कोर्ट में हलफ़नामा देकर मोहंती के निर्दोष होने की बात कही थी। जब शिवराज सत्ता में आए तो कतिपय आयएएस के कार्य ने पहले विजय सिंह को निशाना बनाने की साजिश की। जब विजय सिंह क्षुब्ध होकर केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर चले गए तो हलफ़नामा वाले मुद्दे को हवा देकर मोहंती सर के लिए भी लूप लाइन का रास्ता तैयार कर दिया। सरकार ने दोषी तो माना नहीं, मोहंती तो फिर भी सेवा में ही रहे। नुकसान में तो गवर्नमेंट रही दो उनके टैलेंट का बेहतर उपयोग नहीं कर सकी।
सरकार ने अभियोजन की स्वीकृति दी लेकिन हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया
इस मामले में मोहंती ने हाईकोर्ट की शरण ली थी तब लोन घोटाले की शिकायत गलत मानी थी। हाईकोर्ट ने माना है कि मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया गया एवं ईओडब्लयू की जांच की दिशा ही गलत थी। सीएम शिवराज सिंह चौहान द्वारा उनके खिलाफ दी गई अभियोजन की मंजूरी को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। संबंधित मामले को 719 करोड़ का लोन घोटाला कहा गया परंतु जांच में सबकुछ साफ होता चला गया। कुछ नए पुराने हिसाब किताब को मोहंती के सिर पर मढ़ दिया गया और यह मामला बना लिया गया। आईएएस मोहंती ने इस मामले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी। मप्र हाईकोर्ट आईएएस मोहंती की ओर से पेश की गईं दलीलों से संतुष्ट हुआ और उनके खिलाफ जारी की गई अभियोजन मंजूरी को ही खाजिर कर दिया।
सूत्रों का कहना है कि यह मामला आईएएस मोहंती के खिलाफ रची गई एक साजिश थी जो उन्हे तंग करने के लिए थी। एक गलत दिशा में हुई जांच के कारण मामला बिगड़ता चला गया और पॉलिटिकल प्रेशर के चलते सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उनके खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति दे दी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया।