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संसद और विधानसभाएं चर्चा के लिए हैं, व्यवधान के लिए नहीं : उपराष्ट्रपति

बेंगलुरु। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि संसद और विधानसभाएं सार्थक चर्चा और बहस के लिए हैं, व्यवधान पैदा करने या हंगामे के लिए नहीं।

बुधवार को यहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने हाल में संसद में विपक्ष के हंगामे पर चिंता व्यक्त की और चुने हुए प्रतिनिधियों को उनकी जिम्मेदारी की याद दिलाई। उपराष्ट्रपति ने कहा कि चुने हुए जन प्रतिनिधियों को लोगों का जीवन स्तर सुधारने पर ध्यान देना चाहिए। उन्हें ऐसे विषय उठाने चाहिए जिससे लोगों का भला हो।

नायडू ने लोगों से कहा कि आपने कुछ दिन पहले देखा होगा कि संसद में क्या हुआ। बहुत से युवा मेरे पास आए और बोले, सर..आप देश के उपराष्ट्रपति हैं, आप इतने उदास क्यों हैं। मैंने कहा, मैं कुछ लोगों के खराब व्यवहार से दुखी हूं। संसद के अंदर कितना खराब बर्ताव किया गया।

कर्नाटक समेत कई विधानसभाओं में भी पूर्व में इसी तरह के व्यवहार का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि प्रत्येक सदस्य और जन प्रतिनिधि को उस संस्था के सम्मान में वृद्धि का प्रयास करना चाहिए जिसका वह प्रतिनिधित्व करता है। अपने आचार-विचार और व्यवहार से उसके विकास में योगदान देना चाहिए। आप लोगों के रोल माडल हैं। यदि आप लोग ही ऐसा बर्ताव करेंगे तो युवा और दूसरे लोग आप से क्या प्रेरणा लेंगे। विधानसभाएं और संसद वे स्थान हैं जहां आप चर्चा करते हैं, बहस करते हैं और एक नतीजे पर पहुंचते हैं। वे व्यवधान उत्पन्न करने, हंगामा करने के लिए नहीं हैं। यदि आप ऐसा कर रहे हैं तो आप देश के हितों को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं उन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करने से नहीं डरता, जिन्होंने व्यवधान पैदा किया, हंगामा किया। मैं कार्रवाई कर सकता हूं। यदि आवश्यकता पड़ी तो जरूर करूंगा, लेकिन मुद्दा यह है कि जब देश की जनता यह सब टीवी पर देखती है तो वे निराश होते हैं। इस मौके पर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान पर भी प्रकाश डाला और देश में ‘राम राज्य’ की स्थापना पर बल दिया जहां न गरीबी हो, न अराजकता हो और न ही भेदभाव हो। कार्यक्रम में कर्नाटक के राज्यपाल ताराचंद गहलोत, मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई तथा अन्य लोग उपस्थित थे।

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