Top Stories

पेरिस समझौते से 2030 तक बचेंगे 26 खरब डॉलर, जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने में होंगे उपयोग

जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के लिए यदि सभी राष्ट्र पेरिस समझौते के अनुरूप कदम उठाते हैं तो 2030 तक विश्व को 26 खरब डॉलर का आर्थिक फायदा होगा। इस राशि का उपयोग जलवायु परिवर्तन से होने वाले खतरों से निपटने के लिए किया जा सकता है। एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है। ‘द ग्लोबल कमीशन ऑन इकोनॉमी एंड क्लाइमेट’ रिपोर्ट को बुधवार को न्यूयॉर्क में जारी किया जाएगा।

ऐसे होगी बचत : रिपोर्ट के अनुसार यह बचत जलवायु परिवर्तन के अनुकूल प्रौद्यौगिकी के इस्तेमाल, निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था में 6.5 करोड़ नए रोजगारों के सृजन, वायु प्रदूषण से होने वाली सात लाख मौतों में कमी लाकर और जीवाश्म ईंधन पर विश्व भर में दी जा रही करीब 2.8 अरब डॉलर की सब्सिडी को खत्म करके होगी।

भारत चौथा सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक

चीन, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के बाद भारत चौथे नंबर पर सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक देश है। इसलिए पेरिस समझौते पर अमल करने से भारत को भी बड़ा आर्थिक फायदा होगा। गौरतलब है कि कई देशों में अभी भी जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी दी जा रही है। भारत में इसे काफी हद तक एलपीजी, केरोसिन तक सीमित किया गया है। जबकि हरित ईंधन पर सब्सिडी नाममात्र की है। रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक समूचे विश्व में यदि हरित ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ता है तो स्वत: ही जीवाश्म ईंधन पर सब्सिडी कम हो जाएगी।

अनुकूल प्रौद्योगिकी अपनानी होगी

भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में जलवायु परिवर्तन से मुकाबले के लिए अनुकूल प्रौद्यौगिकी को तेजी से अपना रहे हैं। जैसे, एलईडी बल्व, कम ऊर्जा खपत वाले विद्युतीय उपकरण, इलेक्ट्रिक वाहन आदि। जलवायु अनुकूल नई प्रौद्यौगिकी के इस्तेमाल बढ़ने से निम्न कार्बन अर्थव्यवस्था का विस्तार होगा। इससे 2030 तक 6.5 करोड़ नए रोजगार सृजित होने का अनुमान है।

जलवायु एवं अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ नैना लाल किदवई के अनुसार, भारत दुनिया में जलवायु संबंधी क्रियाकलापों की रफ्तार का निर्धारक बनकर उभरा है। यहां दुनिया के सबसे कम कार्बन फुर्टंप्रट वाली सीमेंट कंपनियां हैं और ऊर्जा दक्षता के क्षेत्र में नए-नए काम हो रहे हैं। इसलिए निश्चित रूप से भारत को आने वाले समय में फायदा होगा।

यह है लक्ष्य

– 2015 में हुए पेरिस समझौते पर अब तक 197 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं

– ज्यादातर देशों ने ऊर्जा दक्षता के अपने लक्ष्य घोषित किए हैं

– भारत ने ऊर्जा की तीव्रता में 33-35% कमी लाने का लक्ष्य रखा है

– साथ ही 2030 तक 40 फीसदी हरित ऊर्जा क्षमता विकसित करने का लक्ष्य है

Related Articles

Back to top button