क्या कारगर होगा PAK को 30 करोड़ डॉलर की सैन्य सहायता रोकने का कदम
अमेरिका ने शनिवार को पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की अमेरिकी सैन्य सहायता में कटौती का एलान किया था. यह फैसला जनवरी में घोषित व्यापक सहायता स्थगन का हिस्सा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आतंकवादियों के सुरक्षित ठिकानों के कथित समर्थन को लेकर इस्लामाबाद पर दबाव डालने की कोशिश की है.
अमेरिका का आरोप है कि पाकिस्तान ने खतरनाक दोहरा खेल खेलते हुए अमेरिकी सहायता के रूप में 2002 से अरबों डॉलर लिए दूसरी ओर अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं पर हमला करने वाले तालिबान और अन्य आतंकवादियों का समर्थन किया.
इस फैसले के कुछ दिन बाद ही विदेश मंत्री माइक पोम्पियो अपनी पहली यात्रा के क्रम में पाकिस्तान आने वाले हैं. पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री इमरान खान ने अमेरिका के साथ बेहतर संबंध बनाने पर जोर दिया है. पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने कटौती को तवज्जो नहीं दी. विश्लेषकों का कहना है कि इस कदम से एक ऐसे छद्म सहयोगी को नियंत्रित करने की कठिनाइयों को रेखांकित किया गया है जिसका समर्थन लंबे समय से चल रहे अफगान संघर्ष में काफी अहम है.
वॉशिंगटन ने पाकिस्तान पर अफगान तालिबान समेत विभिन्न आतंकवादी समूहों का समर्थन करने का आरोप लगाया है. इस्लामाबाद बार-बार आरोपों से इनकार करता रहा है. उसका कहना है कि उसने सुरक्षित पनाहों को खत्म कर दिया है. पाकिस्तान ने अमेरिका पर आरोप लगाया है कि उसने पाकिस्तानी धरती पर हजारों लोगों के मारे जाने और चरमपंथियों से संघर्ष पर अरबों डालर के खर्च को नजरअंदाज किया है. साथ ही पाकिस्तान का कहना है कि इस राशि को अमेरिकी मदद के तौर पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रविवार को कहा कि अमेरिका ने कोलिजन सपोर्ट फंड के तहत 30 करोड़ डॉलर की राशि दी थी. इसे आर्थिक मदद के तौर पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो 5 सितंबर को पाकिस्तान आने वाले हैं. हम अमेरिकी राजनयिक के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे.