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भारत में एनसीआर से पहले एनपीआर

दिल्ली। केंद्र सरकार ने नेशनल सीटजनशीप रजिस्टर (एनसीआर) से पहले नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर) शुरू करने निर्णय लिया है। मंगलवार को मोदी सरकार की कैबिनेट ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को मंजूरी दे दी है। एनपीआर के तहत एक अप्रैल 2020 से 30 सितंबर 2020 तक नागरिकों का डेटाबेस तैयार किया जाएगा। इस प्रकिया में कुल 8500 करोड़ रुपये होंगे खर्च होंगे। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार हर हाल में ऐसे नागरिकों का पता लगाने में लगी है जो देश में घुसपैठिए के तौर पर रह रहे है और उन्होंने अपनी जानकारी छुपाई है। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने नेशनल सीटजन रजिस्टर (एनसीआर) से पहले नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(एनपीआर) को लागू किया है। एनपीआर के माध्यम से देश में रहने वाले सभी नागरिकों की जानकारी उनके घर जाकर एकात्रित की जाएगी। इस जानकारी में जनसांख्यिंकी के साथ ही बायोमेट्रिक जानकारी भी शामिल होगी। 2010 में एनपीआर बनाने की पहल की गई थी लेकिन उस समय यह अमल में नहीं लाया जा सका। अब 2019 में मौजुदा केंद्र सरकार इसकों अमली जामा पहना रही है। सरकार ने कहा है कि एनपीआर और एनआरसी में अंतर है। दोनों की प्रक्रिया और मकसद अलग अलग है।

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