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मप्र में अब एचआईवी मरीजों के साथ भेदभाव अपराध,होगी दो साल की सजा

 

— एचआईवी मरीजों को मिलेगे कई अधिकार
— एचआईवी और एड्स कानून 2017 के नियम अधिसूचना जारी

 

                                (  दीपक भार्गव )

 

मध्यप्रदेश। प्रदेश में अब एचआईवी मरीजों के साथ भेदभाव करना अपराध की श्रेणी में होगा। यह अपराध में शामिल होने पर दोषी को दो साल तक की सजा और एक लाख रूपए तक का अर्थदंड से दंडित करने के प्रावधान है। मप्र सरकार ने एचआईवी और एड्स कानून 2017 की अधिसूचना जारी की है। इस कानून के लागू होने पर एचआईवी या एड्स पीड़ितों को कई तरह के अधिकार भी मिलेंगे। हलांकि ह्यूमन इम्यूनोडेफिसिएंशी वायरस एंड एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंशी सिंड्रोम (प्रिवेंशन एंड कंट्रोल) बिल, 2017 को 10 सितंबर को लागू किया गया था लेकिन मप्र में इसके नियम अब तक नहीं बनाए गए थे।

मध्यप्रदेश सरकार ने इसकी गंभीरता से लेते हुए राज्य के नियम पारित किये हैं। इसके तहत अब प्रत्येक जिले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी जिला शिकायत अधिकारी होंगे। वही परियोजना संचालक, मध्यप्रदेश राज्य एड्स नियंत्रण समिति ओम्बड्समैन अर्थात लोकपाल होंगे। कोई भी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति अपने प्रति हुए भेदभाव अथवा अधिकारों के हनन के संबंध में ज़िला शिकायत अधिकारी अथवा ओम्बड्समैन के पास अपनी शिकायत लिखित में दर्ज करा सकता है।

—यह होंगे अधिकार

-एचआईवी पीड़ित नाबालिग को परिवार के साथ रहने का अधिकार मिलता है और उनके खिलाफ भेदभाव करने और नफरत फैलाने से रोकता है।

-मरीज को एंटी-रेट्रोवाइरल थेरेपी का न्यायिक अधिकार मिल जाता है। इसके तहत हर मरीज को एचआईवी प्रिवेंशन, टेस्टिंग, ट्रीटमेंट और काउंसलिंग सर्विसेज का अधिकार मिलेगा।मरीजों के लिए कल्याणकारी योजनाएं शुरू की जाएगी।

– मरीजों को रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य प्रॉपर्टी, किराए पर मकान जैसी सुविधाओं को देने से इनकार करना या किसी को नौकरी, शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधा देने से पहले एचआईवी टेस्ट करवाना भी भेदभाव होगा।

-किसी भी मरीज को उसकी सहमति के बिना एचआईवी टेस्ट या किसी मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। एक एचआईवी पॉजिटिव व्यक्ति तभी अपना स्टेटस उजागर करने पर मजबूर होगा, जब इसके लिए कोर्ट का ऑर्डर लिया जाएगा। लाइसेंस्ड ब्लड बैंक और मेडिकल रिसर्च के मकसद के लिए सहमति की जरूरत नहीं होगी जब तक कि उस व्यक्ति के एचआईवी स्टेटस को सार्वजनिक न किया जाए।

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