कोई ऐसे ही नहीं बनता स्वामी विवेकानंद
– युवाओं के प्रेरणा स्रोत हैं स्वामी विवेकानंद, जयंती पर आयोजित होंगे कार्यक्रम
जोरावर सिंह, सीहोर
मध्यप्रदेश। कलकत्ता की धरती पर जन्मे स्वामी विवेकानंद आज युवाओं के प्रेरणा स्रोत है। उनकी जयंती पर देश भर में युवाओं द्वारा उन्हें याद किया जाता है। उनका जन्म 12 जनवरी सन् 1863 को कलकत्ता शहर वर्तमान में कोलकाता शहर में हुआ था। उनका घर का नाम नरेन्द्र था। उनके जन्म स्थान गौड़ मोहन मुखर्जी स्ट्रीट कोलकाता अब इसका पुनरुद्धार करके सांस्कृतिक केन्द्र का रूप दे दिया गया है। उनकी जयंती के दिन यहां बडी संख्या में युवा पहुंचते है।
गौरतलब है कि बालक नरेन्द्र से लेकर स्वामी विवेकानंद बनने तक के उनके सफर पर नजर डाली जाए तो संघर्षों से तो उनका सामना बचपन में ही हो गया था। युवावस्था में उनके पिता विश्वनाथ दत्त का निधन 1884 में हो गया था। इसके बाद घर की जिम्मेदारियों को संभालते हुए अपने गुरू रामकृष्ण परमहंस के सानिध्य में वह आगे बढते रहे, वह रामक्रष्ण परमहंस के परम शिष्य थे। सन्यास लेने के बाद उनका नाम स्वामी विवेकानंद हो गया, वहीं उन्होंने अपने गुरु की अंतिम समय जब वह बीमार थे खूब सेवा की। जीवन भर मानव सेवा करने के बाद वह 4 जुलाई 1902 में इस नश्वर दुनियां को अलविदा कह गए।
भारत का स्वाभिमान बढाता है वह भाषण
उल्लेखनीय है 1893 में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो अमेरिका में आयोजित हुई विश्व धर्म सभा में वह कैसे पहुंचे। भाषण देने का समय कैसे मिला। भारत में इस विषय पर विद्वानों के अलग अलग मत है। इसे भारत में अपनी अपनी सुविधा के अनुसार अपनाया जाता है पर महत्वपूर्ण यह है कि यह वह समय था जब भारत अंग्रेजो के अधीन था। अधीन देश के निवासियों का कितना स्वाभिमान होता है। यह हम सब जानते है पर उनके द्वारा दिए गए उस उदबोधन में आज भी हम अपनी जीत और अपना स्वाभिमान देखते हैं। निश्चित तौर पर उनका वह उदबोधन भारत का स्वाभिमान बढाता है। उनके वह शब्द भाइयो और बहिनो भारतीय संस्क2ति और संस्कार की पहचान है। विषम हालातों में भी अपने स्वाभिमान को बरकरार रखा।
उत्साह से मनेगी जयंती
स्वामी विवेकानंद की जयंती भारत में युवाओं के प्रेरणा स्रोत के रूप में मनाई जाती है। जगह जगह रैलियां और सांस्क्रतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। छात्र संगठनों में उनके जन्म दिन को मनाने की तैयारियां इस बार भी शुरू हो गई है। इस मौके पर स्कूलों में एवं कई सामाजिक संगठनों द्वारा धर्मसभाओं के कार्यक्रम भी आयोजित होते रहे है। वही उनकी जयंती को और प्रभावी रूप से मनाने के लिए योग एवं सूर्य नमस्कार जैसे कार्यक्रमों के आयोजन भी होंगे।
प्रेरणा लेने का समय
भारत देश में स्वामी विवेकानंद को जब युवा अपना प्रेरणा स्रोत मानते है। तो इस बार नए संकल्प के साथ आओ उनकी जयंती मनाएं। वर्तमान समय में युवा नशे की तरपफ तेजी से बढ रहा है। हम संकल्प ले नशा नहीं करने का अपराध की ओर जो युवा बढ रहे है, वह भी संकल्प ले, भारत के युवाओं में पनप रही बुराईयों को मिटाकर हम स्वामी विवेकानंद के बताये मार्ग पर चलकर ही आगे बढने का संकल्प् लें, तभी हम स्वामी विवेकानंद के सपनों के भारत को हम बना सकते हैं।