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चाहे कितने दिन लॉकडाउन बढ़ाना क्यों न पड़े..! कोरोना को भागना चाहिए
[mkd_highlight background_color=”” color=”red”]होमेंद्र देशमुख[/mkd_highlight]
आज एक मित्र का फोन आया । पूछा- ” यार, ये लॉकडाउन सही में बढ़ जाएगा क्या….?”
यार बढ़ना तो चाहिये ,अपने यहां तो बोल रहे इटली जैसी स्पीड चल रही । आटा और डाटा तो मिल ही रहा है ।
पर साहब, डाटा से याद आया ..
परेशानी भी बहुत हो रही ।
पत्नि का मोबाइल कल परमानेंट लॉक होते होते बचा ।
फेशलॉक ओपन डाल रखा है , फेस को रजिस्टर ही नही कर रहा था । शुक्र है बेटे ने याद दिलाया मम्मी अगर उखाड़ नही सको तो कम से कम आधे आइब्रो पर फाउंडेशन पेस्ट लगा लो ।
जैसे तैसे मोबाइल खुला और जान बची । किससे ताला तुड़वाने जाते.. मतलब मोबाइल रिपेरिंग वाला कहां मिलता..!
यार बच्चे से याद आया ,बड़े बोर हो रहे बेचारे … रामायण दिखाओ तो कहते हैं बंदर जैसे उड़ना है । यार एक दिन तो छोटे वाले ने पूंछ बांध ली थी .. अच्छा हुआ बालकनी में जाली लगी है ।
यार ये महाभारत तो घर मे महाभारत करवाएगा ।
बड़े वाले ने एक दिन अपनी मम्मी से पूछ लिया , मम्मी आपके कितने पति हैं ..मुंह सूजा है बेचारे का । डॉक्टर भी नही मिल रहा ।
डॉक्टर से याद आया ।
अपन घर मे कितनी दूर दूर रह सकते हैं..सोशल डिस्टेंसिंग घर मे भी होता है क्या..
वो , लॉकडाउन तो घर के बाहर है न यार..!
यार बहुत दिन से सोच रहा था, पूछुं.., ये बर्तन गरम पानी से अच्छा साफ होता है या ठंडे से…!
नही, मान लो कि धोना पड़े ..
तुम्हारी भाभी तो वैसे मुझे कुछ करने ही नही देती ।
मेरे से तो चाय भी नही बनती ।
यार चाय से याद आया , ये दाल रोज अलग अलग सीटी पर क्यों गलती है .. पत्नी साल भर का बड़ी , मसाले बना रही है । बोलती है कहीं से कैरी ला दो , अचार भी बना दूं.. यार ये बीवियां भी न, या तो समझती नही बाहर का माहौल कैसा है, या फिर कोई पुराना बदला लेने के फ़िराक में है ..
एक बात बोलूं.., किसी को बताना मत ! बिना टमाटर के दाल फीकी लगती है ..ऐसा बोलकर मैं फंस चुका हूं । एक दिन गुस्से में टमाटर लेने निकल गया था । टमाटर तो नही मिला ।
उल्टे , तीन दिन ‘बैठने’में बहुत तकलीफ थी । दवाई भी नही लगा पाया ।
यार पुलिस वाले दाल नही खाते होंगे.. स्सा…
पुलिस से याद आया । यार, बेचारे करे भी तो क्या करें । हम तो घर बैठे हैं ,चुपचाप ..!
वो तो किसी को पकड़े तो कोरोना न पकड़े तो …
यार पुलिस से याद आया । अपने डॉक्टर साहब के घर तो कोई सब्जी वाला भी नही आ रहा । वो क्या है, कि डॉक्टर साहब भी भर्ती हैं न..
यार ये बताओ गाड़ी की बैटरी कितने दिन नही चलाओ तो बैठ जाती है ..
बेचारे पंक्चर वालों का तो एकाउंट भी नही होगा यार , लॉकडाउन में कैसे जी रहे होंगे ।
शुक्ला जी को भी पान के पैसे नही दे पाया था । वो आफिस के नीचे टपरे वाला..
यार एक बात अच्छी है ऑफिस का प्रेशर नही, पर काम भी तो करना है ।वरना मेहरारू को क्या खिलाएंगे भाई..
आजकल घर भी आफिस से कहां कम है.. बिग- बॉस बन कर बैठी है यार ..
भाग के कहीं जा नही सकते । सर के टेंशन में तो ऑफिस से चाय पीने निकल जाते थे । यहां तो न कहीं निकल सकते हैं न चाय मांग सकते हैं ..
यार भाई बहुत हो गया खुलना चाहिए ।
हमारी तो तनख्वाह आ रही है , किसानों के फसलों का क्या हो रहा होगा… गेहूं की फसल खेतों में लहलहा रही पर किसान बैसाखी भी नही मना सकता ।मजदूरों का पेट कैसे भर रहा होगा ..!
मजदूरों से याद आया ,बर्तन आज बहुत सारा है.. चलता हूं..
जिंदगी रही तो बातें होती रहेंगी..
कल साढू भाई के पिताजी गुजर गए । हे भगवान चार कंधे भी नसीब हो जाए तो बहुत है ।
यार किसी की मौत का सुन कर दिल दहल जाता है ।
वैसे अपन डरते वरते तो नही ,लेकिन अपनी भी तो जिम्मेदारी है..
यूं ही पूछ लिया , कि डेट 14 से आगे बढ़ेगा क्या…अपन कौन सा विरोधी हैं..
एक बार कोरोना चला जाय..
चाहे कितने दिन लॉकडाउन बढ़ाना क्यों न पड़े..!
यार फ़ोन रखता हूं । अच्छा, फ़ोन से याद आया अपना फिंगर तो नही घिस जाएगा हाथ धो धो के, मोबाइल इसी से खुलता है न..
फिंगरप्रिंट सेंसर ..
यार फिंगर से याद आया ,अपना आधार कार्ड फेल तो नही हो जाएगा न..
क्या बोलते हो….
डेट बढ़ने का चांस हो तो बताना । मतलब.. यूं ही बता देना..
हलो..हलो…!
फ़ोन काटना मत….
हां .. हां .., एक बात और भी थी..
यार असल मे , कैसे बताऊं ..
फ़ोन इसीलिए किया था ..
मतलब .. मैं नही.
वो तुम्हारी भाभी पूछ रही थी..
मझले साले की ले दे शादी हुई थी और लॉकडाउन में गौना फंस गया ..
बस यूं ही पूछ रहे…
जब लॉकडाउन में सबरे काम ऑनलाइन ही होत …तो,
और का का हो सकत…..
मने कुछ…
आज बस इतना ही…!
( लेखक वरिष्ठ विडियो जर्नलिस्ट है )