पाकिस्तान में विपक्ष ने मांगा सुप्रीम कोर्ट व चुनाव आयोग का दखल
इस्लामाबाद। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के अध्यक्ष बिलावल भुट्टो जरदारी ने पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के सदस्यों को अविश्वास प्रस्ताव में भाग लेने से रोकने के इमरान खान सरकार के फैसले को असंवैधानिक बताया है। उन्होंने इस मामले में पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश (सीजेपी) और मुख्य चुनाव आयुक्त से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
बिलावल भुट्टो ने कहा कि सांसदों के अधिकारों की रक्षा की जानी चाहिए। बिलावल ने सरकार के फैसले को पाकिस्तानी संविधान के अनुच्छेद छह का उल्लंघन करार दिया। पीपीपी अध्यक्ष ने इस्लामाबाद में कहा, ‘मैं सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और सीईसी से अपील करूंगा कि आपने प्रधानमंत्री के बयान सुने होंगे। मैं आपसे अपील करता हूं कि हर सदस्य को अपने वोट के अधिकार का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जानी चाहिए और किसी को भी उन्हें रोकने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।’
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री की मंशा पर सवाल उठाते हुए बिलावल ने कहा, ‘हमारे संविधान का अनुच्छेद छह बहुत स्पष्ट है और यह हर उस व्यक्ति पर लागू होता है, जो संवैधानिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप करना चाहता है। हर कोई देख सकता है कि प्रधानमंत्री धांधली करने की कोशिश कर रहे हैं। उनके प्रतिनिधि घोषणा कर रहे हैं कि सदस्यों के वोटों की गिनती नहीं की जाएगी। पुलिस जबरन संसद में घुसकर माननीय सदस्यों को गिरफ्तार कर रही है।’
पीपीपी अध्यक्ष ने सुप्रीम कोर्ट और इस्लामाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से यह भी पूछा कि जब वे संसद सदस्यों के मतदान अधिकारों की रक्षा नहीं कर सकते तो वे जनता के मतदान के अधिकार की रक्षा कैसे करेंगे। इस हफ्ते की शुरुआत में संसदीय मामलों पर प्रधानमंत्री के सलाहकार बाबर अवान ने बताया कि सरकार ने फैसला किया है कि सरकार का कोई भी सदस्य एनए सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव में शामिल नहीं होगा।
वहीं, पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) के अध्यक्ष मौलाना फजलुर रहमान ने देश की नौकरशाही और प्रतिष्ठानों से पाकिस्तान के पीएम की बात नहीं मानने को कहा। इस बीच, पाकिस्तान में एक वरिष्ठ चीनी राजनयिक पैंग चुनैक्स ने पीएमएल-क्यू के नेताओं से मुलाकात करके वहां राजनीतिक व आर्थिक स्थिरता बनाने की अपील की है।