अविश्वास प्रस्ताव: लोकसभा में सरकार और विपक्ष ने साधा एक दूसरे पर निशाना
केंद्र की राजग सरकार के खिलाफ पिछले चार वर्षो में विपक्ष के पहले अविश्वास प्रस्ताव पर शुक्रवार को चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच आरोपों के तीखे तीर चले। कांग्रेस ने जहां सरकार पर किसानों, रोजगार, महिला सुरक्षा जैसे चुनावी वादे पूरा नहीं करने का आरोप लगाया वहीं भाजपा ने कहा कि कांग्रेस ने 48 वर्षो के शासन में स्कैम्स (घोटालों) की राजनीति की, जबकि नरेंद्र मोदी की सरकार ने पिछले 48 महीने में स्कीम्स (योजनाओं) की राजनीति की है।
लोकसभा में सरकार के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे में अनियमितता का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव में रक्षा मंत्री ने राफेल सौदे को लेकर असत्य बोला। उन्होंने आरोप लगाया, ‘प्रधानमंत्री मोदी ‘चौकीदार नहीं, बल्कि भागीदार हैं।’ कांग्रेस अध्यक्ष ने सवाल किया कि प्रधानमंत्री को इसका जवाब देना चाहिए कि राफेल सौदे के प्रारूप को अचानक क्यों बदला गया और हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से कांट्रेक्ट लेकर उस उद्योगपति को क्यों दिया गया जिस पर 35 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।
भाजपा के राकेश सिंह ने अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा, ‘यह अविश्वास प्रस्ताव सरकार के कामकाज के विरुद्ध नहीं बल्कि साल 2019 में नरेंद्र मोदी की सरकार फिर बनने के डर से पैदा हुई हताशा में लाया गया है।’ उन्होंने कहा कि देश में जवाहरलाल नेहरू से लेकर पिछली संप्रग सरकार तक 70 साल में से 48 साल एक ही परिवार के लोग सत्ता चलाते रहे। इसमें पूर्ववर्ती संप्रग सरकार के 10 साल का श्रेय भी कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को जाता है। अब भी कांग्रेस सत्ता से तृप्त नहीं हुई है।
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सिंह ने कहा, ‘इन 48 साल में कांग्रेस ने स्कैम्स (घोटालों) की राजनीति की और हमने 48 महीने में स्कीम्स (योजनाओं) का शासन किया। सरकार के खिलाफ तेलुगु देशम पार्टी द्वारा लाये गये अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करते हुए सिंह ने कहा कि तेदेपा सांसद अपने अविश्वास प्रस्ताव को लेकर कोई ठोस कारण पेश नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि तेदेपा के जयदेव गल्ला ने अपने बयान में जिन बातों का उल्लेख किया, उस समय कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन आज वे कांग्रेस के साथ खड़े होकर अविश्वास प्रस्ताव रख रहे हैं। भाजपा सांसद ने कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि देश में पहली बार इतने भारी बहुमत से गैर-कांग्रेसी सरकार बनी है। भारी बहुमत से चुनी गयी सरकार के खिलाफ ऐसे राजनीतिक दलों का साथ में अविश्वास प्रस्ताव लाना समझ नहीं आता।
उन्होंने कहा कि दरअसल कांग्रेस इसलिए परेशान है क्योंकि वह एक ही परिवार की सरकार देश में चाहती है। सिंह ने कहा कि देश इस अविश्वास प्रस्ताव को समझ नहीं पा रहा। कांग्रेस द्वारा इसे लाने के दो ही कारण हो सकते हैं। या तो विपक्षी पार्टी राज्यों में अपने खिसकते आधार को बचाने की कोशिश में ऐसा कर रही है या 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा के विजय रथ को रोकने की यह एक असफल कोशिश है।
इससे पहले चर्चा में हिस्सा लेते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने दावा किया, ‘मैं फ्रांस के राष्ट्रपति से स्वयं मिला था। उन्होंने मुझे बताया कि राफेल विमान सौदे को लेकर भारत और फ्रांस की सरकार के बीच गोपनीयता का कोई समझौता नहीं हुआ है।’
उन्होंने किसानों, रोजगार, भीड़ द्वारा हत्या और महिला सुरक्षा के मुद्दे उठाए और सरकार पर वादों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया। राहुल गांधी ने कहा कि पूरा देश प्रधानमंत्री की ‘जुमला स्ट्राइक से परिचित हो गया है। उन्होंने कहा कि हर खाते में 15 लाख भेजने का वादा और हर साल दो करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा प्रधानमंत्री की ‘जुमला स्ट्राइक है।
चर्चा की शुरूआत करते हुए तेलुगु देशम पार्टी के जयदेव गल्ला ने कहा कि आंध्र प्रदेश के विभाजन और तेलंगाना राज्य के गठन से सबसे ज्यादा नुकसान आंध्र प्रदेश को हुआ। लेकिन आंध्रप्रदेश के लिए संसद के भीतर और बाहर जो वादे किए गए थे वो पूरे नहीं हुए। उन्होंने आंध्र प्रदेश में एक रैली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए भाषण का हवाला देते हुए कहा कि ‘मोदी ने उस समय कहा था कि कांग्रेस ने मां (आंध्र प्रदेश) को मार दिया और बच्चे (तेलंगाना) को बचा लिया और अगर वह होते तो मां को भी बचा लेते।
गल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री अपने ये शब्द भूल गए जिसके लिए आंध्र प्रदेश की जनता भाजपा को कभी माफ नहीं करेगी। उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 में कांग्रेस की तत्कालीन सरकार ने आंध्र प्रदेश का बंटवारा ‘अलोकतांत्रिक ढंग से किया गया और भाजपा ने भी इसमें साथ दिया। तेदेपा सदस्य ने कहा, ‘ आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जे की मांग की उसकी लड़ाई धर्मयुद्ध है, यह बहुमत और नैतिकता के बीच युद्ध है, यह प्रदेश की जनता और मोदी सरकार के बीच युद्ध है।’