बिम्सटेक सैन्य ड्रिल से नेपाल के हटने पर भारत ने जताई नाराजगी
बिम्सटेक के पहले सैन्य अभ्यास में हिस्सा लेने से नेपाल के इनकार के बाद भारत ने इसपर कड़ा एतराज जताया है. भारत को लगता है कि आतंरिक राजनीति के दबाव का हवाला देकर नेपाल क्षेत्रीय रिश्तों से किनारा नहीं कर सकता. नेपाल के इस कदम से क्षेत्रीय रिश्तों की मजबूती में लगे भारत को किरकिरी का सामना करना पड़ा है.
हिन्दुस्तान टाइम्स के खबर के मुताबिक रक्षा मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने इस मामले पर टिप्पणी से इनकार किया है. लेकिन एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस सैन्य अभ्यास में शामिल होने के लिए सभी शर्तें प्रतिभागी देशों के हित को ध्यान में रखकर ही तय की गई थीं.
दिल्ली को नेपाल के इस कदम और उसकी दलील से कड़ी आपत्ति है. पहले नेपाल से अभ्यान में हिस्सा लेने के लिए तैयार था और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते 30 अगस्त को सभी के सामने इसका ऐलान कर चुके थे. लेकिन अचानक नेपाल सरकार पीछे हट गई जिससे भारत को क्षेत्रीय स्तर पर शर्मींदगी झेलनी पड़ी. बिम्सटेक देशों के सैन्य अभ्यास 10 से 16 सितंबर तक पुणे में जारी है.
चीन से बढ़ाए रिश्ते
नेपाल के इस कदम को चीन के ओर उसके रुझान के तौर पर भी देखा जा रहा है. पूर्व राजदूत ने बताया कि इससे अलगाव की स्थिति तो पैदा नहीं होगी लेकिन यह कदम कूटनीतिक रिश्तों को झटका जरूर है. उन्होंने कहा कि एक तरह नेपाल को चीन के बंदरगाह इस्तेमाल करनी की इजाजत मिली और दूसरी ओर उसने बिम्सटेक में शामिल होने से इनकार कर दिया. खबरें यह भी हैं कि नेपाल और चीन की सेना जल्द ही संयुक्त सैन्य अभ्यास में हिस्सा ले सकती हैं.
बिम्सटेक देशों के सैन्य अभ्यास में नेपाली सेना के शामिल होने को लेकर देश में राजनीतिक विवाद पैदा हो गया था, जिसके बाद यह निर्णय किया गया. प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली ने राष्ट्रीय रक्षा बल से कहा कि वह अभ्यास में हिस्सा नहीं लें. प्रधानमंत्री के निर्देश के बाद नेपाली सैन्य नेतृत्व को भारत की पहल पर बनाए गए क्षेत्रीय समूह बिम्सटेक के पहले सैन्य अभ्यास से अपने कदम पीछे खींचने पड़े.
बता दें कि बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकनॉमिक को-ऑपरेशन (बिम्सटेक) एक क्षेत्रीय संगठन हैं जिसमें भारत, म्यांमार, श्रीलंका, थाइलैंड, भूटान और नेपाल सदस्य देशों के तौर पर शामिल हैं. सभी सात सदस्य देशों की थल सेनाएं छह दिवसीय अभ्यास के लिए 30-30 सदस्यों का अपना दस्ता भेजने पर सहमत हुई थीं.
यह कार्यक्रम उस वक्त विवादों से घिर गया जब अभ्यास में हिस्सा लेने का फैसला करने से पहले राजनयिक या राजनीतिक स्तर पर कोई सहमति कायम नहीं की गई. बताया गया कि सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के प्रभावशाली नेताओं सहित अलग-अलग हलकों से कड़ी आलोचना के बाद नेपाल सरकार ने बिम्सटेक में शामिल न होने का फैसला किया था.