वॉटरफॉल हादसाः सबक नहीं ले रहा प्रशासन, पहले भी हो चुकी हैं ऐसी घटनाएं
भोपाल। प्रदेश के पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा की बदइंतजामी के चलते लगातार हादसे होते रहते हैं। शिवपुरी के सुल्तानगढ़ वॉटर फॉल हादसे में भी प्रशासन की लापरवाही सामने आई है। इससे पहले भी प्रदेश के कई वॉटरफॉल्स पर इस तरह के हादसे होते रहे हैं। इसके बावजूद प्रशासन ने कोई सबक नहीं लिया है।
ग्वालियर-शिवपुरी हाइवे पर स्थित सुल्तानगढ़ वॉटर फॉल हादसे में सबसे बड़ी लापरवाही प्रशासन की सामने आई है। दरअसल, जगंल के बीच में मौजूद इस जलप्रपात को देखने बड़ी संख्या में पर्यटक आते रहते हैं। लेकिन, अभी तक न तो इसे पर्यटन विभाग द्वारा पर्यटन स्थल घोषित किया गया है, और न ही लोगों के सुरक्षा के कोई इंतजाम किये जाते है। यहां पर लोग अपनी मर्जी से झरने के बीचो-बीच पहुंच जाते है, लेकिन उन्हें चेतावनी देने वाला तक कोई मौजूद नहीं रहता है। ऐसे में प्रशासन को इस तरह की घटनाओं से सबक लेना चाहिए।
इससे पहले भी होते रहे इस तरह के हादसे
सुल्तानगढ़ वॉटर फॉल में हुआ हादसा कोई पहली घटना नहीं है। साल 2015 में भी इसी तरह की घटना सामने आई थी। जहां जबलपुर से 35 किलोमीटर दूर पाटन ब्लॉक में मौजूद बगदरी झरने पर पिकनिक मनाने गये दो परिवार के 12 लोग झरनें में बह गये थे, जिनमें से 9 लोगों की मौत हो गई थी इस हादसे में भी प्रशासन की लापरवाही ही सामने आई, जहां चेतावनी के नाम पर एक बोर्ड भी नहीं लगा हुआ था।
इसके अलावा जबलपुर में नर्मदा नदी पर स्थित धुंआधार जलप्रपात के व्यू पाइंट पर सेल्फी लेने व पानी के पास जाने के चक्कर इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं। पिछले दिनों सेल्फी लेने के चक्कर में तीन लोग यहां बह गये थे जिनमें से एक की मौत हो गई थी।
साल 2016 में भी इसी तरह का हादसा सामने आया था, जहां रीवा जिले में टमस नदी के पास मौजूद वॉटर फॉल में पिकनिक मनाने गये पांच युवक पानी में बह गये थे, इस हादसे में दो युवको की मौत हो गई थी, जबकि तीन को बचा लिया गया था। जबकि राजधानी भोपाल के पास सीहोर जिले में स्थित अमरगढ़ जलप्रपात में पिकनिक मनाने गये 6 युवकों में से एक की पानी में बहने से मौत हो गई थी।
सभी घटनाओं में सामने आती रही है प्रशासन की लापरवाही
गौरतलब है अब तक हुई इन सभी घटनाओं में प्रशासन की लापरवाही ही सामने आती रही है। लेकिन, फिर भी इन हादसों से सबक नहीं लिया जा रहा है। दरअसल, पर्यटन स्थलों पर अभी भी सुरक्षा को लेकर कड़ इंतजाम नहीं किये जा रहे है, जिससे इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके।