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नर्मदा जयंती आज, हो रहे धार्मिक अनुष्ठान

(दीपक भार्गव)
मध्यप्रदेश। प्रदेश में आज नर्मदा जयंती की धूम है। नर्मदा किनारे सुबह से ही धार्मिक अनुष्ठान शुरू हो गए जो दिभर चलेंगे। प्रदेश की जीवन दायनी पवित्र सलिला मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक में सरकार तीन दिवसीय नर्मदा जयंती महोत्सव मना रही है। जिसमें धार्मिक अनुष्ठान समेत सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जा रहे हैं। प्रदेश के जबलुपर, होशंगाबाद, ओमकारेश्वर समेत अन्य नर्मदा किनारे बसे शहरों में जयंती को उत्सव के रूप में मनाने के लिए आयोजन किए जा रहे हैं। पुराणों में ऐसा मानना है कि जहां गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से जो फल की प्राप्ती होती है वही पुण्य फल मां नर्मदा के दर्शन करने मात्र से प्राप्त हो जाता है।

भारत की एक मात्र नदी जिसकी की जाती है परिक्रमा—
पवित्र सलिला मां नर्मदा यह एकमात्र ऐसी नदी है जिसका पुराण है। यह एकमात्र ऐसी नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है। बड़े-बड़े ऋषि मुनि नर्मदा के तटों पर गुप्त तप करते हैं। पुराणों में ऐसा बताया गया है कि इनका जन्म एक 12 वर्ष की कन्या के रूप में हुआ था। समुद्र मंथन के बाद भगवान शिव के पसीने की एक बूंद धरती पर गिरी जिससे मां नर्मदा प्रकट हो गईं। इसी वजह से इन्हें शिवसुता भी कहा जाता है। उद्गम स्थल अमरकंटक से मां नर्मदा एक छोटी-सी धार से प्रारंभ होकर आगे बढ़ते हुए विशाल रूप धारण कर लेती हैं।
मध्य प्रदेश की जीवन रेखा—
नर्मदा, जिसे रेवा के नाम से भी जाना जाता है, मध्य भारत की एक नदी और भारतीय उपमहाद्वीप की पांचवीं सबसे लंबी नदी है। यह गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद भारत के अंदर बहने वाली तीसरी सबसे लंबी नदी है। मध्य प्रदेश राज्य में इसके विशाल योगदान के कारण इसे “मध्य प्रदेश की जीवन रेखा” भी कहा जाता है। यह उत्तर और दक्षिण भारत के बीच एक पारंपरिक सीमा की तरह कार्य करती है। यह अपने उद्गम से पश्चिम की ओर 1,312 किमी चल कर खंभात की खाड़ी, अरब सागर में जा मिलती है।
नर्मदा, मध्य भारत के मध्य प्रदेश और गुजरात राज्य में बहने वाली एक प्रमुख नदी है। मैकल पर्वत के अमरकण्टक शिखर से नर्मदा नदी की उत्पत्ति हुई है। इसकी लम्बाई प्रायः 1312 किलोमीटर है। यह नदी पश्चिम की तरफ जाकर खम्बात की खाड़ी में गिरती है।

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