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इस्लामाबाद कोर्ट ने टाली मुंबई हमले की सुनवाई, जज बोले- डर की वजह से बयान नहीं दे रहे गवाह

2008 में हुए मुंबई हमले के गुनाहगारों को सजा देने से पाकिस्तान हमेशा बचता रहा है. पाकिस्तान की कोर्ट में ये मामला काफी लंबे समय से चल रहा है, गुरुवार को भी इस मामले पर सुनवाई हुई लेकिन आगे बढ़ गई. इस्लामाबाद की एंटी टेरर कोर्ट के जज ने मामले की सुनवाई को इसलिए टाल दिया क्योंकि कोई गवाह बयान देने को राजी नहीं हुए हैं.

इस्लामाबाद कोर्ट की जस्टिस आमिर फारूक और जस्टिस मोहसिन अख्तर कियानी पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पिछले लंबे समय से इस केस में कोई प्रोगरेस देखने को नहीं मिली है. कोर्ट में पेश किए जाने वाले 26 गवाहों का अता-पता नहीं चल पाया है.

पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, जजों ने टिप्पणी करते हुए भी कहा कि ऐसा लगता है कि गवाह काफी डरे हुए हैं यही कारण है कि अपना बयान दर्ज नहीं कराना चाहते हैं. कोर्ट ने कहा कि जब तक ये सभी गवाह बयान देने के लिए कोर्ट में पेश नहीं होते हैं तबतक मामले की सुनवाई को आगे बढ़ने नहीं दिया जा सकता है.

गौरतलब है कि 26, नवंबर 2008 में हुए इस हमले के तमाम सबूत पाकिस्तान की ओर इशारा करते हैं. भारत की ओर से सभी सबूतों को पाकिस्तान के सामने पेश भी किया है लेकिन पाकिस्तान के कान पर जूं तक नहीं रेंगी और अभी तक इंसाफ नहीं मिल सका है.

आपको बता दें कि पाकिस्तान से समुद्र के रास्ते आते हुए लैश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी मुंबई में शामिल हुए थे. इन आतंकियों ने मुंबई के ताज होटल, रेलवे स्टेशन समेत कई इलाकों में हमला किया था. तीन दिन तक चले इस आतंकी हमले में करीब 166 लोगों की मौत हुई थी. इनमें कई विदेशी नागरिक भी शामिल थे.

इस हमले में 9 आतंकियों को मौके पर ही मार गिराया गया था, जबकि एक आतंकी मोहम्मद अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था. कसाब ने पूछताछ में पाकिस्तान की पोल खोलकर रख दी थी. मोहम्मद कसाब को 2012 में फांसी दे दी गई थी.

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